हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी भगवान गणेश की पूजा की जाती है कहा जाता है की दिवाली के दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती है जिससे भक्त प्रसन्न होते हैं उसके घर में निवास करती है। दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी का त्यौहार भी मनाया जाता है और यह भी दिवाली की तरह ही बेहद खास होता है।
नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। आईए जानते हैं नरक चतुर्दशी और दिवाली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है।
इसलिए मनाते हैं नरक चतुर्दशी-छोटी दिवाली
एकपौराणिक कथा के अनुसार ,नरकासुर नाम का एक राक्षस था । उसने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर इंद्र समेत सभी देवताओं का परेशान कर रखा था। उसके राज्य की जनता भी उसके अत्याचारों से परेशान थी। उसने 16000 स्त्रियों को बंदी बना रखा था। उसके अत्याचार से परेशान होकर देवता और ऋषिगण भगवान कृष्ण के पास मदद करने पहुंचे। भगवान कृष्ण नरकासुर से मुक्ति दिलाने का आश्वाशन दिया नरकासुर को स्त्री के हाथो मरने का श्राप था और इसलिए भगवान कृष्ण अपनी पत्नी सत्य भामा को सारथी बना कर नरकासुर का वध किया तभी से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं।
बड़ी दिवाली से जुड़ी पुरानी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार ,भगवान श्री राम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ 14 वर्ष का वनवास काटकर रावण का वध करने और लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद कार्तिक मास की अमावस्या तिथि का अयोध्या लौटे। उस दिन अमावस्या तिथि थी और इसलिए लोगों ने पूरे नगर में रोशनी करने के लिए घी के दीपक जलाये। इसलिए हिंदू धर्म में दीपावली का विशेष महत्व है। मान्यता है असत्य पर सत्य की जीत के बाद भगवान राम अपनी नगरी लौटे थे। और इसलिए हर साल इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन हर तरफ रोशनी और चमक दिखाई देती है।
दिवाली से जुड़ी अन्य पौराणिक कथाएँ
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक मास की अमावस्या के दिन समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। देवी लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। उसी दिन से हिंदू धर्म में दिवाली मनाई जाती है। कहा जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।