Diggi Subsidy Yojana: राजस्थान जैसे अर्ध-रेगिस्तानी और सूखे से प्रभावित इलाकों में किसानों के लिए पानी की समस्या हमेशा एक बड़ी चुनौती रही है। इसी समस्या के स्थायी समाधान के लिए राज्य सरकार ने डिग्गी अनुदान योजना 2025 की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देना, सिंचाई की सुविधाओं को मजबूत करना और किसानों की आमदनी में वृद्धि करना है।
डिग्गी अनुदान योजना का उद्देश्य
डिग्गी योजना का मुख्य मकसद किसानों को पानी का स्थायी भंडारण उपलब्ध कराना है। खेतों में डिग्गी निर्माण के जरिए वर्षा जल को संरक्षित किया जाएगा, जिससे सालभर सिंचाई की सुविधा मिलेगी। इस पहल से न केवल फसलों की पैदावार में सुधार होगा, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।
किसानों को मिलेगी सब्सिडी
राजस्थान सरकार किसानों को डिग्गी निर्माण पर भारी अनुदान उपलब्ध करवा रही है। लघु एवं सीमांत किसानों को कुल लागत पर 85% तक सब्सिडी दी जाएगी, जिसकी अधिकतम सीमा ₹4 लाख तय की गई है। वहीं सामान्य किसानों को 75% तक सब्सिडी दी जाएगी और अधिकतम ₹3 लाख तक का लाभ मिलेगा। किसानों को यह राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाएगी।
योजना की पात्रता
डिग्गी अनुदान योजना का लाभ उठाने के लिए किसान का राजस्थान का स्थायी निवासी होना जरूरी है। आवेदक के पास कम से कम 1 हेक्टेयर यानी लगभग 2.5 बीघा कृषि योग्य भूमि होनी चाहिए। इस योजना का लाभ सभी श्रेणी के किसान, चाहे लघु, सीमांत या सामान्य, उठा सकते हैं। साथ ही, आवेदक का बैंक खाता आधार कार्ड से लिंक होना अनिवार्य होगा।
आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज
इस योजना में आवेदन करने के लिए किसान को कुछ जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे। इसमें आधार कार्ड, जन आधार कार्ड, बैंक पासबुक की प्रति, कृषि भूमि से संबंधित राजस्व रिकॉर्ड या नक्शा, निवास प्रमाण पत्र और एक पासपोर्ट साइज फोटो शामिल है। इसके अलावा खेत में सिंचाई जल स्त्रोत से संबंधित प्रमाण भी आवश्यक होगा।
सुरक्षा मानकों का पालन जरूरी
डिग्गी योजना के तहत सरकार ने सुरक्षा उपायों पर भी विशेष ध्यान दिया है। प्रत्येक डिग्गी के चारों ओर कम से कम 2 फीट ऊंची दीवार का निर्माण करना अनिवार्य होगा ताकि दुर्घटनाओं से बचाव हो सके। साथ ही, चेतावनी बोर्ड लगाना भी आवश्यक होगा।
डिग्गी योजना का महत्व
डिग्गी अनुदान योजना राजस्थान में जल संरक्षण को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाएगी। इससे भूजल स्तर में सुधार होगा और किसानों को सिंचाई की सुविधा आसानी से उपलब्ध हो सकेगी। योजना से किसानों की आय में वृद्धि होगी और जल संकट झेल रहे इलाकों को स्थायी समाधान मिलेगा। आर्थिक स्थिति मजबूत होने से ग्रामीण से शहरी पलायन में भी कमी आएगी।