Bollywood Evergreen Songs : 6 मिनट 23 सेकेंड का यह 60 साल पुराना गाना शर्म, प्यार, जुदाई से श्रोताओं के भावनाओं को छूता है गहराई से, देखें पूरी वीडियो 

Saroj kanwar
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60’s Superhit Hindi Song : 60 के दशक में लीजेंड मोहम्मद रफी ने अनेक बालीवुड सदाबाहर गानों (Bollywood old superhit song) की सीरिज दी। उस जमाने में मोहम्मद रफी ने अपनी मधुर आवाज से जिस भी फिल्म में गाना दिया वह सुपरहिट गानों की लिस्ट में शामिल हो गया। 60 का दशक ऐसा था कि उस समय अधिकतर फिल्मों के गानों में मोहम्मद रफी जी  (Mohammad Rafi Song)  की आवाज सुनाई देती थी। लोग उनकी आवाज के इतने दिवाने थे कि गाना रीलिज होते ही रातों रात सुपरहिट हो जाता था और लोगों के मुंह पर उसी गाने के बोल सुनाई देते थे।

मोहम्मद रफी मधुर आवाज में आए पुराने गाने (Old Superhit Hindi Song) आज भी युवा पीढ़ी की भावनाओं को बहुत गहराई से छू लेता है। ऐसे ही एक गाना है “एक था गुल एक थी बुलबुल” है। इस गाने मोहम्मद रफी ने अपनी आवाज से गुल व बुलबुल के पवित्र प्यार को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया है।

मोहम्मद रफी व नंदा के इस पुराने सदाबाहर गाने (Evergreen Old Hindi Song) में शर्म, प्यार, जुदाई को अपनी मधुर आवाज से प्रस्तुत किया है। यही कारण है कि आज भी लोग इस गाने के दीवाने है और यूट्यूब पर इस गाने को लाखों की संख्या में देखा व सुना जाता है। इस गाने की प्रस्तुति इसको आज भी पुराना नहीं होने देती है और हर बार नया नजरिया पेश करती है। 

नंदा ने गाने में बेहतर आवाज के साथ शशि कपूर के साथ किया जबरदस्त अभिनय 

“एक था गुल एक थी बुलबुल” गाना वर्ष 1965 में आई फिल्म “जब जब फूल खिले” (jab jab phool khile) का है। आपको बता दे कि इस फिल्म की खुबसूरती यह है कि जहां फिल्म की अभिनेत्री नंदा ने जहां पर बेहतरीन अभिनय किया। वहीं सदाबाहर गाने “एक था गुल एक थी बुलबुल” गाने में मोहम्मद रफी  (Mohammad Rafi Song)  के साथ मुधर आवाज भी दी है। इस गाने में मुख्य भूमिका में शशि कपूर (Shashi Kapoor) है। जहां गाने में शशि कपूर के साथ अभिनेत्री नंदा ने बेहतरीन तरीके से फिल्माया है। दोनों की जोड़ी ने इस गाने को लोकप्रिय रोमांटिक गीतों (Popular Romantic Songs) की लिस्ट में शामिल कर दिया। अगर बात की जाए तो पुराने हिट गानों (Old Superhit Hindi Song) में इस गाने को शामिल किया जाता है। 

आनंद बक्शी की लेखनी ने गाने को बना दिया सुखद और सुगम

60 के दशक के गाने “एक था गुल एक थी बुलबुल” को आनंद बक्शी द्वारा लिखा गया है। आनंद बक्शी की बेहतरीन लेखनी ने इस गाने को सुखद और सुगम बना दिया। आनंद बक्शी ने इस गाने में बगीचे में गुल व बुलबुल के पवित्र प्रेम को गाने के रुप में लिखकर इसे रोमांटिक बना दिया।

जहां बेहतरीन लेखनी का परिणाम है कि यह गाना सदाबाहर बन गया। आपको बता दे कि इस गाने  कल्याणजी-आनंदजी (Kalyanji-Anandji) के संगीत ने ओर भी सुखद बना दिया। इस सुपहिट पुराने गाने की बात की जाए तो हर किरादार ने बेहतरीन काम किया है और इस खुशसूरत गाने का निर्माण किया है। 

https://www.youtube.com/embed/nmxvcR7AHvQ

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