अभी तक आपने पीलिया का नाम सुना होगा जो कि मनुष्य के लिए काफी घातक होता है। लेकिन अब लोगों में ब्लैक जॉन्डिस अथार्थ वायरल हेपेटाइटिस के मामले में भी तेजी देखने को मिल रहे हैं जो गंभीर बीमारी के तौर पर जाना जाता है। अगर समय रहते इसका उपचार न कर पाए तो यह मनुष्य के लिए जान लेवा भी सिद्ध हो सकता है। यह तेजी से मनुष्य के शरीर को नुकसान पहुंचता है जिससे कैंसर होने की प्रबल आसार है।
ब्लैक जॉन्डिस लीवर में होने वाले खतरनाक वायरल इनफेक्शन है
ब्लैक जॉन्डिस लीवर में होने वाले खतरनाक वायरल इनफेक्शन है। यह हेपेटाइटिस बी और सी के वायरस के कारण होता है। हेपेटाइटिस बी और सी के इंफेक्शन के कारण बॉडी में बिलीरुबिन का लेवल बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति को जौंडिस कहते हैं। समय पर उपचार नहीं होने पर इंफेक्शन बढ़ने लगता है। इसे काला पीलिया कहते हैं। इस बीमारी की गंभीर होने के कारण ही से ब्लैक जॉन्डिस का नाम दिया गया है। स्थिति गंभीर होने पर लिवर डैमेज होने से पीड़ित की मौत हो सकती है।
मेरठ जोन में हुए 17 हजार केस दर्ज
हेपेटाइटिस मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर मेडिकल कॉलेज की प्रभारी अधिकारी डॉक्टर अरविंद कुमार ने बताया कि देशभर में हेपेटाइटिस से संक्रमित मरीजों की संख्या को देखते हुए भारत सरकार द्वारा वायरल हेपिटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम को वर्ष 2018 में शुरू किया गया था। तब से लेकर अब तक लगातार लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है। मेरठ जॉन से संबंधित जिलों में 17000 से ज्यादा केस दर्ज हैं जिनका उपचार चल रहा है।
क्या है ब्लैक जौंडिस
डॉक्टर अरविन्द कुमार ने बताया की लीवर में कार्बन जमा होने की कारण मरीज क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी का शिकार हो जाता है। इस लीवर की डैमेज होने और कैंसर जैसी बीमारियों की होने का खतरा बढ़ जाता है। इस बीमारी के कारण पीड़ित का रंग काला पड़ने लगता है। इसलिए बोलचाल में इस बीमारी को ब्लैक जॉन्डिस कहा जाता है। ब्लैक जॉन्डिस के कारण डॉक्टर अरविंद कुमार ने बताया कि आमतौर पर ब्लैक जॉन्डिस का कारण हेपेटाइटिस बी और सी होता है।
हेपेटाइटिस बी और सी के वायरस ब्लड के जरिए बॉडी में पहुंचते है और लीवर को प्रभावित करते हैं। समय पर उपचार नहीं होने पर लीवर में कार्बन जमा होने के कारण कैंसर से लेकर किडनी डैमेज होने और स्किन को संबंधित परेशानियां होने लगती है। कभी-कभी उपचार के बावजूद हेपेटाइटिस बी और सी भी और सी वायरस लीवर में रह जाते हैं जिसे पीड़ित का लेवल सिकुड़ने लगता है और डैमेज हो जाता है। इंजेक्शन का बार-बार उपयोग करना शारीरिक अंग जैसे नाक ,कान में अन्य अंग को भेदना , संक्रमित सुई का उपयोग ,रेजर ,नेल कटर ,टूथ ब्रश को साझा करना ,असुरक्षित यौन संबंध बनाना ,संक्रमित रक्त एवं रक्त उत्पादन का संचार ,डायलिसिस आदि माने जाते हैं ।
क्या है ब्लैक जॉन्डिस के लक्षण
ब्लैक जॉन्डिस की बीमारी कई लक्षण है भूख कम लग्न , शरीर में कमजोरी ,आंख और त्वचा का रंग पीला होना , मिचली आना , बुखार होना ,पेट में लगातार दर्द का रहना व जोड़ों में दर्द रहना आदि है। इतना ही नहीं डॉक्टर कहते हैं की कोई भी व्यक्ति अगर पीलिया से पीड़ित है तो उससे भी हेपेटाइटिस सी और b की जांच करवानी चाहिए।