Bank New Rule: हाल ही में सोशल मीडिया और विभिन्न प्लेटफॉर्म पर यह भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है कि सभी बैंकों में अब ₹10,000 का न्यूनतम बैलेंस रखना अनिवार्य हो गया है। यह जानकारी पूर्णतया गलत और भ्रामक है। वास्तविकता यह है कि विभिन्न बैंकों के अलग-अलग मिनिमम बैलेंस नियम हैं और कई बैंकों ने तो मिनिमम बैलेंस की आवश्यकता को पूरी तरह समाप्त भी कर दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने कभी भी सभी बैंकों के लिए एक समान ₹10,000 का मिनिमम बैलेंस नियम लागू नहीं किया है। प्रत्येक बैंक अपनी परिचालन लागत और व्यावसायिक आवश्यकताओं के आधार पर मिनिमम बैलेंस तय करने के लिए स्वतंत्र है।
वर्तमान में विभिन्न बैंकों की स्थिति
भारत के प्रमुख सरकारी बैंकों में से अधिकांश ने मिनिमम बैलेंस की आवश्यकता को काफी कम कर दिया है या पूरी तरह समाप्त कर दिया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने वर्ष 2020 में ही मिनिमम बैलेंस की शर्त को हटा दिया था। केनरा बैंक ने जून 2025 से अपने सभी सेविंग, सैलरी और एनआरआई अकाउंट्स से मिनिमम बैलेंस की शर्त पूरी तरह हटा दी है। पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी जुलाई 2025 से अपने सामान्य सेविंग अकाउंट्स में मिनिमम बैलेंस हटाकर जीरो बैलेंस की सुविधा प्रदान की है। यह दिखाता है कि सरकारी बैंक ग्राहकों की सुविधा को प्राथमिकता दे रहे हैं।
निजी बैंकों में बढ़ते मिनिमम बैलेंस नियम
निजी बैंकों की स्थिति सरकारी बैंकों से काफी अलग है। आईसीआईसीआई बैंक ने हाल ही में अपने नए खाताधारकों के लिए मिनिमम बैलेंस की राशि को पांच गुना बढ़ाकर मेट्रो और शहरी इलाकों में ₹50,000 कर दिया है। यह नियम केवल 1 अगस्त 2025 के बाद खोले गए नए खातों पर लागू होता है। एचडीएफसी बैंक ने भी अपने नए खाताधारकों के लिए मिनिमम बैलेंस ₹25,000 तय किया है। डीबीएस बैंक में ₹10,000 का मंथली एवरेज बैलेंस रखना आवश्यक है। ये नियम इन बैंकों की बढ़ती परिचालन लागत और डिजिटल सेवाओं के विस्तार के कारण लागू किए गए हैं।
क्षेत्रवार अलग-अलग नियम
बैंकों में मिनिमम बैलेंस की आवश्यकता ग्राहक के निवास स्थान के आधार पर भी अलग-अलग होती है। मेट्रो और बड़े शहरों में आमतौर पर अधिक मिनिमम बैलेंस की आवश्यकता होती है क्योंकि यहां बैंकिंग सेवाओं की लागत अधिक होती है। अर्ध-शहरी क्षेत्रों में यह राशि कम होती है और ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे कम या बिल्कुल नहीं। उदाहरण के लिए, एक्सिस बैंक में मेट्रो और शहरी क्षेत्रों के लिए ₹12,000, सेमी-अर्बन के लिए ₹5,000 और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ₹2,500 का मिनिमम बैलेंस निर्धारित है। यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई है ताकि ग्रामीण और छोटे शहरों के लोगों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ न पड़े।
जीरो बैलेंस खातों की सुविधा
प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए खाते पूर्णतः जीरो बैलेंस खाते हैं जिनमें किसी भी प्रकार का मिनिमम बैलेंस रखने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा सैलरी अकाउंट, पेंशन अकाउंट और छोटे बचत खातों में भी मिनिमम बैलेंस की शर्त नहीं होती। कई सहकारी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक भी जीरो बैलेंस खातों की सुविधा प्रदान करते हैं। कई डिजिटल बैंक भी बिना किसी मिनिमम बैलेंस की शर्त के खाते खोलने की सुविधा देते हैं। यह दिखाता है कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली में सभी आर्थिक वर्गों के लिए उचित विकल्प उपलब्ध हैं।
मिनिमम बैलेंस न रखने पर शुल्क
यदि किसी बैंक में मिनिमम बैलेंस की शर्त है और खाताधारक उसे पूरा नहीं करता है, तो बैंक पेनल्टी चार्ज करता है। यह पेनल्टी आमतौर पर कमी की राशि का 6% या एक निश्चित अधिकतम राशि तक होती है। अधिकांश बैंकों में यह पेनल्टी ₹250 से ₹600 के बीच होती है। कुछ बैंक त्रैमासिक आधार पर औसत बैलेंस की गणना करते हैं जबकि अन्य मासिक आधार पर। भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिया है कि पेनल्टी केवल तभी वसूली जाए जब बैंक को वास्तविक घाटा हो रहा हो। बैंकों को पेनल्टी लगाने से पहले ग्राहकों को उचित सूचना देना भी आवश्यक है।
सही बैंक चुनने के सुझाव
अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार सही बैंक चुनना महत्वपूर्ण है। यदि आप नियमित रूप से अपने खाते में बड़ी राशि नहीं रख सकते हैं, तो एसबीआई, केनरा बैंक या पीएनबी जैसे सरकारी बैंकों का चुनाव करें जहां जीरो बैलेंस की सुविधा है। यदि आपको प्रीमियम बैंकिंग सेवाओं की आवश्यकता है और आप मिनिमम बैलेंस बनाए रख सकते हैं, तो निजी बैंकों का विकल्प चुन सकते हैं। खाता खोलने से पहले बैंक के नियमों और शर्तों को ध्यान से पढ़ें और समझें। अपने क्षेत्र के आधार पर मिनिमम बैलेंस की जानकारी प्राप्त करें और अपनी आवश्यकताओं के अनुसार निर्णय लें।
भविष्य की संभावनाएं और रुझान
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में डिजिटलीकरण की बढ़ती लहर के साथ मिनिमम बैलेंस के नियमों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। सरकारी बैंक ग्राहकों की सुविधा को प्राथमिकता देते हुए मिनिमम बैलेंस हटाने की दिशा में कदम उठा रहे हैं। वहीं निजी बैंक अपनी प्रीमियम सेवाओं के लिए अधिक मिनिमम बैलेंस की मांग कर रहे हैं। भविष्य में डिजिटल बैंकिंग के विस्तार के साथ जीरो बैलेंस खातों की संख्या बढ़ने की संभावना है। फिनटेक कंपनियों के बढ़ते प्रभाव से पारंपरिक बैंकों को भी अपनी नीतियों में बदलाव करना पड़ सकता है। ग्राहकों के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है कि उनके पास विकल्पों की कमी नहीं है।
सावधानियां और सुझाव
किसी भी बैंक में खाता खोलने से पहले उस बैंक की आधिकारिक वेबसाइट या शाखा से मिनिमम बैलेंस के नियमों की पुष्टि करें। सोशल मीडिया पर फैलाई जाने वाली अफवाहों पर भरोसा न करें। अपने वर्तमान बैंक खाते की स्थिति नियमित रूप से चेक करते रहें और यदि कोई समस्या हो तो तुरंत बैंक से संपर्क करें। यदि आपके पास पहले से ही खाता है तो नए नियम आमतौर पर पुराने खातों पर लागू नहीं होते हैं। बैंक से मिलने वाली सभी सूचनाओं को ध्यान से पढ़ें और संदेह की स्थिति में स्पष्टीकरण मांगें। याद रखें कि आपके पास हमेशा बैंक बदलने का विकल्प है यदि कोई बैंक आपकी आवश्यकताओं के अनुकूल नहीं है।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। बैंकिंग नियम समय-समय पर बदलते रहते हैं। कोई भी निर्णय लेने से पहले कृपया संबंधित बैंक की आधिकारिक वेबसाइट देखें या शाखा से संपर्क करें। लेखक इस जानकारी की पूर्ण सटीकता की गारंटी नहीं देता है।