Bank Deposit Insurance: आज के समय में लगभग हर व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई को बैंक में जमा करता है। बैंकों को सबसे सुरक्षित स्थान माना जाता है जहां पैसा रखा जा सकता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपका बैंक किसी कारणवश बंद हो जाए या दिवालिया हो जाए तो आपके जमा पैसों का क्या होगा। यह एक गंभीर प्रश्न है जिसका उत्तर हर खाताधारक को पता होना चाहिए। भारत सरकार ने इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए बैंक जमा राशि के लिए बीमा कवरेज की व्यवस्था की है। यह व्यवस्था ग्राहकों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है और उनके धन को एक निश्चित सीमा तक सुरक्षित रखती है।
वर्तमान बीमा कवरेज की सीमा
भारत में इस समय बैंक जमा राशि पर अधिकतम पांच लाख रुपये तक का बीमा कवरेज मिलता है। यदि किसी कारण से आपका बैंक बंद हो जाता है या दिवालिया घोषित हो जाता है तो आपको अधिकतम पांच लाख रुपये तक की राशि वापस मिलने की गारंटी होती है। यह नियम 1 अप्रैल 2020 से लागू हुआ था और इससे पहले यह सीमा केवल एक लाख रुपये थी। लगभग 27 वर्षों तक बीमा सीमा एक लाख रुपये पर ही स्थिर रही थी। पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक में आए संकट के बाद सरकार ने इस सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने का फैसला लिया था। यह कदम बैंक ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया था।
बीमा सीमा बढ़ाने की संभावना
केंद्र सरकार और वित्त मंत्रालय वर्तमान में बैंक डिपॉजिट पर मिलने वाली बीमा सीमा को पांच लाख रुपये से अधिक करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। बदलते आर्थिक परिवेश और ग्राहकों की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए यह कदम उठाने की योजना बनाई जा रही है। हालांकि अभी तक इस संबंध में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि वर्ष 2025 के अंत तक इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा सकता है। वित्तीय सेवा सचिव ने फरवरी 2025 में संकेत दिया था कि इस विषय पर गहन विचार-विमर्श चल रहा है। यह प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रिमंडल की स्वीकृति के बाद ही लागू किया जाएगा।
डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन की भूमिका
डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन यानी DICGC देश में बैंक जमा राशि के लिए बीमा सुरक्षा प्रदान करने वाली प्रमुख संस्था है। यह संस्था रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अधीन काम करती है और सभी बैंकों से एक निश्चित प्रीमियम वसूलती है। वर्तमान में प्रत्येक सौ रुपये की जमा राशि पर 0.12 प्रतिशत की दर से बीमा प्रीमियम लिया जाता है। यह राशि बाद में बीमा कवरेज के भुगतान के लिए उपयोग की जाती है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में DICGC ने सहकारी बैंकों से संबंधित लगभग 1432 करोड़ रुपये के दावों का सफलतापूर्वक निपटारा किया था। इसी अवधि के दौरान बीमा प्रीमियम से कुल 23879 करोड़ रुपये की राशि एकत्र की गई थी। फिलहाल पूरे भारत में लगभग 1996 बैंक DICGC के बीमा कवर के अंतर्गत आते हैं।
किन जमा राशियों पर मिलता है बीमा कवर
बीमा कवरेज की पांच लाख रुपये की सीमा सभी प्रकार की जमा राशियों पर संयुक्त रूप से लागू होती है। इसका मतलब है कि चाहे आपका बचत खाता हो, चालू खाता हो, सावधि जमा हो या आवर्ती जमा हो, सभी को मिलाकर अधिकतम पांच लाख रुपये तक ही बीमा सुरक्षा मिलेगी। यदि आपके एक ही बैंक में विभिन्न प्रकार के खाते हैं और उनमें कुल मिलाकर दस लाख रुपये जमा हैं तो बैंक बंद होने की स्थिति में आपको केवल पांच लाख रुपये ही वापस मिलेंगे। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि बड़ी रकम को एक से अधिक बैंकों में जमा करें ताकि जोखिम कम हो सके। अलग-अलग बैंकों में जमा राशि के लिए अलग-अलग बीमा कवरेज मिलता है।
हाल की घटनाओं से बढ़ी जागरूकता
हाल के वर्षों में कुछ बैंकों के बंद होने या उन पर प्रतिबंध लगाए जाने की घटनाओं ने ग्राहकों में चिंता बढ़ा दी है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कई बार कुछ सहकारी बैंकों पर नए ऋण देने और जमा निकासी पर रोक लगाई है। न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक पर लगाए गए प्रतिबंध एक ऐसा ही उदाहरण है। इस प्रकार की घटनाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि बैंक ग्राहकों को पर्याप्त वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है। इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए सरकार बीमा सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है। यह कदम लाखों बैंक ग्राहकों के लिए राहत का संदेश होगा और उनका विश्वास बैंकिंग प्रणाली पर मजबूत होगा।
बैंक बंद होने पर क्या करें
यदि आपका बैंक किसी कारणवश बंद हो जाता है तो घबराने की जरूरत नहीं है। DICGC की ओर से आपको बीमा दावा प्रक्रिया के माध्यम से आपकी जमा राशि वापस मिलने की व्यवस्था होती है। सामान्य परिस्थितियों में आप अपने खाते से बैंक द्वारा निर्धारित दैनिक सीमा के अनुसार पैसे निकाल सकते हैं। लेकिन जब बैंक पर रिजर्व बैंक द्वारा प्रतिबंध लगा दिया जाता है तो आप केवल DICGC की सीमा तक यानी अधिकतम पांच लाख रुपये तक ही अपनी जमा राशि निकाल सकते हैं। यह राशि बीमा दावे के निपटारे के बाद ही मिलती है जिसमें कुछ समय लग सकता है।
बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है जो आपकी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखता है। वर्तमान में पांच लाख रुपये की सीमा अधिकांश मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए पर्याप्त है। लेकिन बढ़ती महंगाई और बदलते आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए इस सीमा को बढ़ाया जाना आवश्यक है। सरकार द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयास स्वागत योग्य हैं। ग्राहकों को भी सतर्क रहना चाहिए और अपनी बड़ी रकम को विभिन्न बैंकों में वितरित करना चाहिए।
Disclaimer
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसका उद्देश्य पाठकों को बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस के बारे में जागरूक करना है। बीमा सीमा और नियमों में समय-समय पर बदलाव हो सकते हैं। किसी भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले कृपया अपने बैंक या DICGC की आधिकारिक वेबसाइट पर नवीनतम जानकारी अवश्य जांच लें। यह लेख किसी भी प्रकार की वित्तीय सलाह नहीं है। बीमा दावों और अन्य औपचारिकताओं के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें। लेखक या प्रकाशक किसी भी प्रकार की हानि या नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।