कही आप तो नहीं कर रहे बच्चों की हेलीकॉप्टर परवरिश , यहां जाने क्यों बन रहे है बच्चों के अनजाने में दुश्मन

Saroj kanwar
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हर पेरेंट्स होते हैं यह बच्चे की बेस्ट परवरिश करे। वो चाहते हैं कि अपने बच्चों की दुनिया खुशी दे। लेकिन कई बार इसके चक्कर में बच्चों की जिंदगी काफी इन्वॉल्व हो जाते हैं इसका नेगेटिव असर बच्चों की मेंटल हेल्थ ,सीखने की स्किल , या सेल्फी इमेज पर पड़ने लगता है। इसे ही हेलीकॉप्टर परवरिश कहते हैं। इसमें पेरेंट्स बच्चों के अनुभव खास जीत और हार की सबसे ज्यादा जिम्मेदारियां लेने लगते हैं जिसकी वजह से बच्चे पर भी प्रेशर बनने लगता है और वह तनाव में रहने लगता है। इसलिए इस तरह की परवरिश नहीं करनी चाहिए की इसका बच्चे पर असर पड़ने लग जाए।

हेलीकॉप्टर परवरिश से बच्चों पर भी असर प्रभाव पड़ता है लिए आपके बारे में बताते है।

कॉन्फिडेंस कम होने लगता है

जब भी आप हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग करते हैं तो यह हमेशा बैकफायर करती है। जब बच्चे की जिंदगी में ज्यादा घुसते हैं तो उन्हें लगने लगता है कि उनके पेरेंट्स उन पर भरोसा नहीं करते हैं कि वह अपना काम खुद कर पाएंगे जिसकी वजह से बच्चे का कॉन्फिडेंस कम होने लगता है।

बच्चा कुछ नहीं सीख पाता

जब पेरेंट्स हमेशा बच्चों की गलती को ठीक करने के लिए पहले आ जाते हैं तो बच्चा उसे ठीक करना नहीं सीख पाता है। कई चीजे बच्चों को समझ ही नहीं आती जब बच्चे की लाइफ पर कंट्रोल किया जाता है तो इसका उसके इमोशन और बर्ताव पर असर पड़ता है जिसकी वजह से कुछ उसे कुछ नया सीखने की इच्छा नहीं रहती है।

आप ना रास्ता खुद नहीं ढूंढ पाते

जिन बच्चों की सोशल ,एकेडमिक को एथलीट लाइफ को पैरंट्स ने एडजस्ट किया होता हैया संभाला होता है उन्हें आगे चलकर अपने लिए फैसला लेना मुश्किल हो जाता है। उन्हें समझ ही नहीं आता है कि किस रास्ते पर चले की वह सफल हो जाए।

एंजायटी बढ़ जाती है

रिपोर्ट्स की माने तो अगर बच्चे की लाइफ में ज्यादा गुस्सा जाता है या कंट्रोल किया जाता है तो उसे एंक्जाइटी और डिप्रेशन के चांसेस बढ़ जाते है।

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