ग्रामीण क्षेत्रों में नए रोजगार के अवसर सृजन करने में पशुपालनका अहम निभा रहा रहा है। आज डेयरी उद्देश्य से पशुपालन करने वाले किसानों की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी जा सकती है जिसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों के तहत पशुपालन के लिए वित्तीय सहायता सहित क्षेत्र से संबंधित सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। ऐसे में कई किसान पशुपालन गाय /भैंस जैसे दुधारू पशुओं का पालन डायरी रोजगार से अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं।
पशुओं के भरण – पोषण और उनके रहने की अच्छी सी व्यवस्था करनी होती है
हालांकि सफल पशुपालन करने के लिए इसमें पशुओं के भरण – पोषण और उनके रहने की अच्छी सी व्यवस्था करनी होती है। दुधारू पशुओ को दिन में कितना पानी पिने दुधारू पशुओं को बिना किसी अनियमितता के पानी पिलाना है और कब-कब पिलाना इसका ध्यान देना होता है। क्योंकि अगर आप अपने दुधारू पशुओं को बिना किसी अनियमितता के पानी पिला रहे हैं, तो इससे पशुओं को समस्या हो सकती है। पशु एक्सपर्ट का मानना यह ऐसा करने से पशुओं के दूध उत्पादन में कमी आ सकती है। जानवरों को सही मात्रा और समय पर पानी पिलाना काफी जरूरी होता है जिससे उनका पाचन तंत्र सही तरीके से कम करें और दूध उत्पादन क्षमता में कोई भी प्रभाव न पड़े इसके लिए जानते हैं जरूरी होता है। और दूध उत्पादन क्षमता पर कोई प्रभाव न पड़े। आइए, जानते है पशुओं को कब-कब और कितनी मात्रा में पानी देना चाहिए।
दिन में 30 से 50 लीटर देना चाहिए पानी
पशु चिकित्सा विशेषज्ञ के अनुसार, दुधारू पशुओं को अनियमित समय पर पानी पिलाने पर इसका सीधा असर उनके पाचन तंत्र पर पड़ता है। जरूरत से ज्यादा या कम पानी पिलाने से जानवरों के शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे पशुओं का दूध उत्पादन धीरे-धीरे कम होने लगता है, जबकि पानी की कमी या असमय पानी पिलाने से जानवरों में तनाव बढ़ता है और शरीर में कमजोरी आ जाती है, जो उनकी उत्पादन क्षमता को प्रभावित करती है। एक दुधारू पशु (गाय/भैंस) को दिन में करीब 30 से 50 लीटर पानी देना चाहिए। यह मात्रा गर्मियों के मौसम में बढ़ सकती है। गर्मी में पशु को प्रतिदिन 40 से 60 लीटर पानी पिलाना चाहिए।
हमेशा ताजा और साफ होना चाहिए
पशुओं को पिलाना पिलाई जाने वाला पानी हमेशा ताजा और साफ होना चाहिए। गंदा पानी पीने से पशुओं में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है जिससे उनकी दूध की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है। सभी पशुपालको को सलाह है की दुधारू पशुओं को पानी पिलाने का सही समय भी उनके स्वास्थ्य उत्पादन पर प्रभाव डालता है। पशुपालको पालको को सुझाव है कि अपने दुधारू पशुओं को दिन भर में काम से कम तीन बार पानी अवश्य पिलाएं। सबसे पहले अपनी सुबह के समय पानी पिलाना जरूरी होता था कि उनके पाचन तंत्र को सही तरीके से काम करने के लिए मदद मिले दोपहर के समय में एक बार फिर पानी देना इससे दिन में तापमान बढ़ने पर जानवर हीट स्ट्रेस से बच सकें। शाम के समय दूध निकालने से पहले और बाद में पानी देना आवश्यक है जिससे पशु हाइड्रेट रहे और उसका दूध सामान्य बना रहे हैं।
अत्यधिक पानी देने के नुकसान
विशेषज्ञ के अनुसार, पशुओं को अत्यधिक पानी पिलाने से भी उनका पाचन तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव और पाचन कमजोर पड़ सकता है, जिससे उनका भोजन सही से नहीं पचता और बार-बार पेशाब की समस्या हो सकती है। इससे उनके शरीर में पोषक तत्वों और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो जाती है, जिससे पशुओं में कई तरह के संक्रमण रोग होने का खतरा बना रह सकता है। शरीर कमजोर होने से दूध की उत्पादन क्षमता में भी कमी हो सकती है।