Anganwadi Workers Salary Hike: आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का काम समाज की नींव को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाता है। महिलाएं बच्चों और माताओं के पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए दिन-रात मेहनत करती हैं। लेकिन लंबे समय से उन्हें मिलने वाला मानदेय उनकी मेहनत के अनुरूप नहीं था, जिससे लगातार असंतोष की स्थिति बनी हुई थी। इस कारण कई बार आवाज़ उठाई गई।
हाल ही में गुजरात उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की सैलरी बढ़ाने का बड़ा फैसला सुनाया है। नए वेतनमान की घोषणा से हजारों आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा। बढ़ी हुई सैलरी न केवल वित्तीय स्थिरता प्रदान करेगी, बल्कि इनके उत्साह और कार्यक्षमता को भी और बढ़ाएगी।
आंगनवाड़ी सहायिका का नया वेतनमान
गुजरात राज्य में आंगनवाड़ी सहायिकाओं को पहले मासिक वेतन के रूप में केवल 5500 रुपये ही दिए जाते थे, जो उनकी जीवन-यापन की आवश्यकताओं के लिए बेहद कम साबित हो रहे थे। इस कारण से वर्षों से वेतन वृद्धि की मांग की जा रही थी। न्यायालय का ताजा फैसला इन सहायिकाओं के जीवन में बड़ा बदलाव लेकर आया है।
अब नए नियम के तहत आंगनवाड़ी सहायिकाओं को मासिक 20300 रुपये का वेतन मिलेगा। यह बढ़ोतरी न सिर्फ आर्थिक स्थिरता लाएगी बल्कि उन्हें अपने परिवार की जरुरतों को आसानी से पूरा करने में मदद करेगी। इस बदलाव को लेकर सभी सहायिकाओं में खुशी का माहौल है और इसे ऐतिहासिक निर्णय माना जा रहा है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का नया वेतनमान
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पहले लगभग 10,000 रुपये मासिक वेतन पाती थीं, जो उनके कार्यभार और जिम्मेदारियों की तुलना में बहुत कम माना जाता था। स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण संबंधी कार्यों के साथ-साथ रिपोर्ट तैयार करने से लेकर जागरूकता फैलाने तक उनकी ड्यूटी काफी कठिन होती है। ऐसे में लगातार उच्च वेतन की मांग उठती रही है।
न्यायालय के नए दिशा-निर्देश के अनुसार अब कार्यकर्ताओं के लिए वेतनमान में बड़ा बदलाव किया गया है। नए नियम के अनुसार आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को 24,800 रुपये का वेतन मिलेगा। यह वृद्धि काफी अहम है क्योंकि इससे उन्हें सामाजिक सुरक्षा और सम्मान दोनों मिलेगा। यह फैसला महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाएगा।
न्यायालय के फैसले का महत्व
गुजरात उच्च न्यायालय का यह निर्णय न केवल वित्तीय दृष्टि से बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अहम है। इतने वर्षों से कम वेतन पर सेवाएं देती आ रही महिलाओं को अब न्याय मिल पाया है, जिससे उनमें आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। इसके साथ ही बाकी राज्यों की सरकारों पर भी अपने कर्मचारियों के मानदेय को बढ़ाने का दबाव बनेगा।
इस फैसले के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि अन्य राज्यों के आंगनवाड़ी कर्मचारी भी अपनी वेतन वृद्धि को लेकर अधिक प्रभावी तरीके से अपनी मांग रख पाएंगे। इससे पूरे देश में महिला कर्मचारियों के उत्थान की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। यह पहल महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में भी बहुत महत्वपूर्ण है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों और समाचार अपडेट्स पर आधारित है। किसी भी निर्णय से पहले आधिकारिक आदेश एवं अधिसूचना की जांच अवश्य करें।