6 साल की उम्र में अपने क्रिकेट यात्रा की शुरुआत से ही सरफराज खान जो चाहते थे वह अपने पिता के सामने एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनना था। इंग्लैंड के इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे मैच से पहले पूर्व कप्तान अनिल कुंबले द्वारा टेस्ट कैप सौंपी गई थी और उनके पिता नौशाद आंसुओं से देख रहे थे। उन्होंने अर्धशतक के साथ अपनी योग्यता साबित की जो बड़ी पारी साबित हो सकती है थी अगर रविंद्र जडेजा के साथ मिक्स अप के बाद नॉन स्ट्राइकर छोर पर रन आउट ना होते।
सरफराज ने शुरुआती घबराहट को दमदार स्वीप से दूर कर दिया
सरफराज ने शुरुआती घबराहट को दमदार स्वीप से दूर कर दिया। लेकिन अपने आउट होने को’ नॉन स्ट्राइक और एन्ड पर रन आउट ‘गलत तालमेल ‘का मामला करार दिया। उन्होंने कहा ,यह खेल का हिस्सा है। क्रिकेट में कभी-कभी ‘गलत कॉल’ होता है। कभी-कभी रन आउट होता है कभी-कभी आपको रन मिल जाते हैं मैं लंच के समय जडेजा से बात की। उनसे खेलते समय मुझसे बात करने का अनुरोध किया। मुझे खेलते समय बात करना पसंद है। यह मेरा पहला मौका था।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का लगभग स्वाद लगभग घरेलू जैसा ही था लेकिन कुछ स्पष्ट अंतरों के साथ
सरफराज ने कहा मैंने उनसे कहा कि जब में बल्लेबाजी करने जाऊं तो खेलते समय मुझसे बात करते रहना जब भी मैं बल्लेबाजी कर रहा था तो वह मुझसे मेरा काफी समर्थन किया। किसी भी खिलाड़ी के लिए ऐसा नहीं है कि घरेलू क्रिकेट में वर्षों तक संघर्ष करता रहे साल 10 साल रन बनाते रहे और राष्ट्रिय करता टीम में मौका ना मिले। जब आखिर उन्हें मौका मिल गया तो सरफराज ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का लगभग स्वाद लगभग घरेलू जैसा ही था लेकिन कुछ स्पष्ट अंतरों के साथ।
उन्होंने कहा ,शुरुआत में मुझे अजीब लग रहा था क्योंकि काफी समय हो गया था लेकिन बाद में मुझे लगा कि मैंने ये सब कर लिया है। एक बार जब मैं अपने क्षेत्र में आ गया तो मुश्किल नहीं लगा। उन्होंने कहा अंतर यह है की प्रथम श्रेणी क्रिकेट में आपके पास भीड़ नहीं होती और आप राष्ट्रीय खिलाड़ियों से ज्यादा नहीं मिलते।