आखिर क्यों बांके बिहारी मंदिर में क्यों नहीं गाते जोर से भजन ,घंटी बजाने पर भी है पाबंदी

Saroj kanwar
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मथुरा वृंदावन का प्राचीन बांके बिहारी मंदिर विभिन्न प्रकार के रहस्य से भरा हुआ है। इस धाम के भक्त दूर-दूर से दर्शन की अभिलाषा लेकर आते हैं । पुरानी कथाओं के अनुसार ,इस धाम में भगवान कृष्ण बाल स्वरूप में विराजमान है । बता दें कि वृंदावन में कृष्ण जी को एक नहीं बल्कि कई मंदिर समर्पित है। ऐसे में आज हम आपको बांके बिहारी मंदिर के दिलचस्पी रहस्य के बारे में बताएंगे।जिसे जानकर आपको हैरानी होगी।

बांके बिहारी मंदिर से जुड़े तथ्य

आपको बता दे बांके बिहारी मंदिर कई अनोखी परंपराओं से घिरा हुआ है जो इस दिव्य परिसर के आकर्षण को और भी बढ़ा देते हैं। वहीं इन परंपराओं में से एक है घंटियों का न होना हर कुछ मिनट पर्दे हटना , मंदिर के अंदर होने वाला ,निरंतर भजन कीर्तन और बहुत कुछ शामिल है। इसके अलावा इस चमत्कारी स्थल में ऊंची आवाज में आरती भी नहीं की जातीहै। हालाँकि इसकी भी प्रेम और भावनाओं से भरी हुई है। यदि कोई छोटा सा बच्चा सो रहा होता है तो आप उसके पास जाकर अचानक से घंटी बजाने लगे और तेज आवाज में भजन कीर्तन और आरती करने लगे तो क्या होगा।

यही कि वह रोकर पूरा घर को भर देगा और काफी ज्यादा परेशान हो जाएगा। दरअसल बांके बिहारी मंदिर में इन घंटियों के न होने का मुख्य कारण यही है। ऐसा माना जाता है कि धाम में कृष्ण जी बाल गोपाल स्वरूप में विराजमान है और घंटिया की बजाने से भीचौंकने के साथ-साथ परेशान भी हो सकते हैं। इसके चलते इस धाम में घंटी नहीं लगाई गई और न ही बजाई जाती है लंबे समय तक चल रही है ये परंपरा भगवान के प्रति प्रेम को दर्शाता है।

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