ग्रहण एक खगोलीय घटना है परन्तु इसका सूतक काल भी अत्यधिक मायने रखता है। जब भी ग्रहण लगता है उससे पहले सूतक काल लग जाता है। सूतक काल को अशुभ समय माना जाता है और कहा जाता है कि सुत्तक काल में खास तौर से कुछ काम नहीं किए जाने चाहिए खासकर गर्भवती महिलाओं को कुछ काम करने की मनाही होती है।
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए
माना जाता है कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए। हालांकि वैज्ञानिक तौर पर ग्रहण के दौरान गर्भवती महिला पर ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन धार्मिक तौर पर कुछ बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।
कहा जाता है इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल के दिन लगेगा और दूसरा चंद्र ग्रहण 17 से 18 सितंबर की रात लगने वाला है।
ऐसे भी यहां जानिए धार्मिक मान्यता के ,अनुसार गर्भवती महिलाओं को कौन से काम करने से परहेज करना चाहिए और किस तरह से सावधानी बरतनी चाहिए।
माना जाता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को भोजन करने से परहेज करना चाहिए।
ग्रहण लगने पर नुकीली चीजों से दूर रहने की सलाह भी दी जाती है। इसलिए सिलाई -कढ़ाई जैसे काम नहीं किए जाते हैं जिनमे सुई का इस्तेमाल होता है।
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण में बाहर जाने की भी बनाई होती है कहते हैं ग्रहण लगा हो तो वातावरण अधिक नकारात्मक होता है इसलिए गर्भवती महिलाएं इस दौरान घर में रहे तो बेहतर रहता है।
ग्रहण के दौरान सोने से भी मना किया जाता है। गर्भवती महिलाओं को इस दौरान भगवान का स्मरण करने के लिए कहा जाता है।
जब भी ग्रहण लगा हो तो स्नान करने से मनाही होती है। लेकिन ग्रहण काल खत्म हो जाने के बाद स्नान किया जा सकता है।
8 अप्रैल के 3 साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा यह सुबह पूर्ण सूर्य ग्रहण होने वाला है इसके चलते पूरी तरह से अंधकार में हो जाएगा।