सावन में व्रत के दौरान इन पारम्परिक फलाहारी डिशेज की रेसिपी है ये जो बना सकते है आसान से तरिके से

Saroj kanwar
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इस साल 22 जुलाई से सावन के महीने की शुरुआत हो रही है। बेहद अच्छा संयोग है की इस बार सावन की शुरुआत सोमवार से हो रही है। ऐसे में जो लोग सोमवार का व्रत रखते हैं। वो 22 जुलाई तो पहले सोमवार का व्रत करेंगे। इस बार सावन में पांच सोमवार पड़ेंगे। सावन के व्रत के दौरान कुछ लोग दिन भर बस पानी पीकर रहते हैं।

वहीं कुछ फलाहारी अगर आप फरार करते हैं शाम को एक बार फलाहारी भोजन खाते हैं तो आप किसी कुछ चीजों को खाने में शामिल करना चाहिए जिससे न सिर्फ आपका पेट भरे और एनर्जी मिले। आज आपको कुछ पारंपरिक फलाहारी डिसेज के बारे में बता दे जिन्हे आप सोमवार के व्रत में बना सकते हैं।

सिंघाड़े का हलवा

हलवा पूरी भारत में लोकप्रिय है।और उपवास के दौरान सिंघाड़े का हलवा एक पॉपुलर ऑप्शन बन जाता है। हलवा बनाने के लिए सिंघाड़े के आटे को भून कर तैयार किया जाता है। जब तक की सुगंधित और गोल्डन ब्राउन ना हो जाए। फिर एक चिकनी कंसिस्टेंसी प्राप्त करने के बाद पानी या दूध के साथ चीनी या गुड मिला दिया जाता है। एक बार जब यह पक जाए, तो इसे कटे हुए मेवों से गार्निश करें।

साबूदाना खिचड़ी

सावन व्रत के दौरान सावन व्रत के दौरान सबसे लोकप्रिय व्यंजनों में से एक है साबूदाना खिचड़ी। भीगा साबूदाना मूंगफली और आलू से बनी और हरी मिर्च के स्वाद के साथ न केवल टेस्टी बल्कि उपवास के दौरान एनर्जी भी देती है। साबूदाना को नरम करने के लिए रात भर भिगो दे फिर मसाला के साथ भुना जाता है और अच्छी तरह पकाया जाता है। बाद में ताजे धनिये के साथ पत्तियों को गार्निश और सर्व करें।

आलू जीरा

अगली डिश जिसे आप ट्राई कर सकते हो। आलू जीरा एक सिंपल यहएक टेस्टी डिश है जिसे आमतौर पर हर घर में सावन व्रत के दौरान बनाया जाता है। कटे हुए कटे हुए आलू को मसालों के साथ तड़का लगाया जाता है और फिर नरम होने तक पकाया जाता है और आखरी में कट्टी धनिया पत्ती सजाया जाता यही। आलू जीरा ,कुट्टू की पूरी , शामक चावल के साथ खाया जा सकता है।

फलाहारी कढ़ी

सावन व्रत के दौरान फलाहारी कढ़ी ,दही ,सिंघाड़े का आटा और जीरा,अदरक और हरी मिर्च जैसे मसाले के साथ बनाए जाते हैं। इसे अक्सर ताजे धनिया पत्तों सेगार्निश और सर्व करें। आप कुट्टू की पूरी या शामक चावल के साथ खा सकते हैं।

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