आरबीआई ने 3 घंटे में चेक क्लियर करने का नियम रोका, बैंकों के लिए तत्काल कोई बदलाव नहीं।

Saroj kanwar
3 Min Read

आरबीआई चेक नियम: भारतीय रिज़र्व बैंक ने चेक ट्रंकेशन सिस्टम (सीटीएस) के अंतर्गत सतत समाशोधन एवं निपटान (सीसीएस) ढांचे के दूसरे चरण के कार्यान्वयन को स्थगित कर दिया है। यह चरण मूल रूप से 3 जनवरी, 2026 को लागू होना था, लेकिन नई तिथि की घोषणा अलग से की जाएगी। आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान प्रणाली, यानी चरण 1, अगले आदेश तक सामान्य रूप से जारी रहेगी। चरण 2 के स्थगन के साथ, चेक समाशोधन के लिए निर्धारित सख्त समयसीमा भी अब लागू नहीं होगी।

हालांकि, आरबीआई का यह कदम प्रणाली को अधिक सुगम और जोखिम-मुक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। चरण 1 में क्या बदलाव हुए? सीटीएस के अंतर्गत सीसीएस ढांचे का पहला चरण 4 अक्टूबर, 2025 से लागू किया गया था। इसने पारंपरिक बैच प्रणाली को समाप्त कर दिया और पूरे दिन के लिए एक ही सतत प्रस्तुति विंडो की शुरुआत की। पहले, चेक निश्चित समय पर बैचों में क्लियर किए जाते थे, लेकिन अब, जैसे ही किसी बैंक को चेक प्राप्त होता है, उसकी स्कैन की गई छवि और एमआईसीआर डेटा सीधे क्लियरिंग हाउस को भेज दिया जाता है।

आहरित बैंक चेक का इलेक्ट्रॉनिक रूप से सत्यापन करता है और स्वीकृति या अस्वीकृति भेजता है। यदि पुष्टिकरण अवधि समाप्त होने तक बैंक से कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं होती है, तो चेक स्वतः स्वीकृत और निपटान हो जाता है। चरण 1 के तहत, चेक प्रस्तुत करने का समय सुबह 9:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक निर्धारित है। बैंकों के लिए पुष्टिकरण या अस्वीकृति भेजने की अवधि सुबह 9:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक खुली रहती है। समाशोधन और निपटान प्रक्रिया इसी समयावधि के भीतर पूरी हो जाती है।

चरण 2 में क्या होने वाला था?
चरण 2 में प्रस्तावित सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन यह था कि आहरित बैंक को चेक की छवि प्राप्त होने के तीन घंटे के भीतर चेक को स्वीकृत या अस्वीकृत करना अनिवार्य होगा। यदि तीन घंटे के भीतर कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं होती है, तो चेक स्वतः स्वीकृत और निपटान हो जाएगा। इसका उद्देश्य ग्राहकों को धन तक त्वरित पहुंच प्रदान करना था।स्थगित होने का क्या अर्थ है?
दूसरे चरण के स्थगित होने का अर्थ है कि बैंकों पर लागू होने वाली सख्त 3 घंटे की समय सीमा अब समाप्त हो जाएगी। चेक क्लियरिंग पहले चरण के नियमों के अनुसार ही जारी रहेगी। हालांकि, सीटीएस का मूल उद्देश्य वही रहेगा: चेक की भौतिक आवाजाही को समाप्त करना और डिजिटल छवियों और इलेक्ट्रॉनिक डेटा का उपयोग करके एक तेज़ और सुरक्षित क्लियरिंग प्रणाली बनाना। आरबीआई के अगले आदेश तक वर्तमान चेक क्लियरिंग संरचना अपरिवर्तित रहेगी।

TAGGED:
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *