आठवां वेतन आयोग: आठवां केंद्रीय वेतन आयोग 50 लाख से अधिक केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और लगभग 69 लाख पेंशनभोगियों के वेतन और पेंशन में बदलाव करने जा रहा है। हालांकि, इसके लागू होने की तारीख और सरकार पर संभावित लागत को लेकर अंतिम निर्णय अभी लंबित हैं। इस बार वेतन और पेंशन में बढ़ोतरी फिटमेंट फैक्टर पर आधारित होगी।
यह फैक्टर मौजूदा मूल वेतन और मूल पेंशन के लिए गुणक का काम करता है। उच्च फिटमेंट फैक्टर का मतलब है वेतन में अधिक वृद्धि। सिफारिशें 18 महीनों में आ सकती हैं। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा को बताया कि आठवें वेतन आयोग की स्थापना 3 नवंबर, 2025 को हुई थी। न्यायमूर्ति रंजन प्रभा देसाई इसके अध्यक्ष हैं। प्रोफेसर पुलक घोष को अंशकालिक सदस्य नियुक्त किया गया है और पंकज जैन सदस्य-सचिव के रूप में कार्यरत हैं।
सरकार को उम्मीद है कि वेतन आयोग 18 महीनों के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत कर देगा। मौजूदा सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर, 2025 को समाप्त हो रहा है। उम्मीद है कि नए वेतन और पेंशन दरें 1 जनवरी, 2026 से लागू होंगी।
कर्मचारियों को बकाया राशि कितनी मिलेगी?
सिफारिशों के स्वीकृत होने के बाद कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को उनका बकाया मिलने की उम्मीद है। हालांकि, सरकार की प्रक्रियाओं को देखते हुए, इसके लागू होने में एक से दो साल लग सकते हैं। यदि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें जनवरी 2028 में लागू होती हैं, लेकिन उन्हें जनवरी 2026 से प्रभावी माना जाता है, तो कर्मचारियों को पूरे 24 महीनों का बकाया मिलेगा। मान लीजिए कि न्यूनतम मूल वेतन पाने वाले कर्मचारी को हर महीने औसतन 11,900 रुपये की वेतन वृद्धि मिलती है।
24 महीनों में कुल बकाया लगभग 2.85 लाख रुपये होगा। इसका मतलब है कि एक नए कर्मचारी को भी लगभग 2.8 से 3 लाख रुपये का बकाया मिलने की उम्मीद है, जबकि उच्च वेतन वर्ग के कर्मचारियों के लिए यह राशि काफी बढ़ सकती है। महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत (DR) पर सरकार का रुख स्पष्ट है। वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत (DR) को मूल वेतन में शामिल करने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। इससे सोशल मीडिया और कर्मचारी संघों के बीच चल रही बहसें प्रभावी रूप से समाप्त हो गई हैं।
महंगाई भत्ता (DA) और दर-लाभ (DR) में हमेशा की तरह हर छह महीने में बढ़ोतरी होती रहेगी और इनकी गणना अखिल भारतीय औद्योगिक श्रमिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (AICPI-IW) के आधार पर ही की जाएगी। अगर फिटमेंट फैक्टर 2.15 निर्धारित किया जाता है तो क्या होगा? अगर फिटमेंट फैक्टर लगभग 2.15 होता है, तो मूल वेतन दोगुने से भी अधिक हो सकता है। इस बदलाव का सीधा असर मानव संसाधन भत्ता (HRA), पेंशन और अन्य भत्तों पर भी पड़ेगा, क्योंकि ये सभी मूल वेतन से जुड़े होते हैं। नीतिगत स्तर पर चल रही चर्चाओं के अनुसार, 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें वित्त वर्ष 2028 में लागू की जा सकती हैं। अगर ऐसा होता है, तो 1 जनवरी, 2026 से लेकर कार्यान्वयन तक, यानी लगभग पांच तिमाहियों तक, बकाया राशि का भुगतान किया जा सकता है।
सरकार पर इसका वित्तीय प्रभाव क्या होगा?
विशेषज्ञों का अनुमान है कि केंद्र और राज्यों के साथ मिलाकर वेतन आयोग की कुल लागत 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। अगर बकाया राशि को भी शामिल किया जाए, तो यह राशि बढ़कर 9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह वित्तीय स्थिरता बनाए रखते हुए और कर्मचारियों को राहत प्रदान करते हुए इन सिफारिशों को लागू करने के लिए आवश्यक बजटीय प्रावधान करेगी।