गन्ने की फसल को खराब कर देगा ये कीड़ा ,ये काम करके किसान आप बचा सकते है आप गन्ने की खेती को बड़े नुकशान से

Saroj kanwar
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देश बड़े पैमाने पर पर गन्ने की खेती की जाती है। उत्तर भारत के रजयो में कुछ महीने पहले ही गन्ने की बुवाई हुई है। ऐसे में गन्ने की फसल अपना आकार लेने लगी है लेकिन किसानों के सामने एक नई चिंता खड़ी हो गयी है। दरअसल कुछ क्षेत्रों गन्ने की फसल छोटी बेधक का प्रकोप देखने को मिला। ये कीट गन्ने के लिए हानिकारक माना जाता है। यह फसल के कल्ले को ही नष्ट कर देता है जिससे पूरी फसल बर्बाद हो जाती है।

चोटी बेधक कीट को Top Borer के नाम से भी जाना जाता है

चोटी बेधक कीट को Top Borer के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो किसानों को समय रहते इस रोग की रोकथाम के उपाय कर लेना चाहिए। लेकिन अगर ऐसा ना किया जाए तो पूरी फसल को बर्बाद कर सकता है। इस कीट को लोकल भाषा में कई अन्य नाम से जाना जाता है। इसे किसान कंसुवा, कन्फ्ररहा, गोफ का सूखना, सुंडी का लगना आदि नाम से भी जानते हैं। आईए जानते हैं कि अगर कुछ करने की फसल में छोटी बेधक रोग लग जाए तो इसकी रोकथाम के लिए किसानों को क्या करना चाहिए।

चोटी बेबेधक की रोकथाम के लिए सबसे पहले कीटनाशक छिड़काव करें

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार चोटी बेबेधक की रोकथाम के लिए सबसे पहले कीटनाशक छिड़काव करें। इसकी नाशक की रोकथाम के लिए सबसे पहले अधिक कोराजन का प्रयोग किया जाता है। यह 75 में लीटर और 150 मिलीलीटर के पैक में उपलब्ध रहता है। 150 मिलीलीटर का उपयोग एक एकड़ के लिए किया जाता है एक एकड़ के लिए किया जाता है 150 मिलीलीटर की सीसी को 10 टंकियों में मिलाकर पौधे की जड़ पर डालना होता है। ध्यान दें इसे स्प्रे नहीं किया जाता है। इसकी टंकी नोजिल को खोलकर पौधों की जड़ पर डाला जाता है।

संभव हो तो दूसरी सिंचाई के बाद ही जुताई -गुड़ाई करें

चोटी बेधक कीट से ग्रसित कल्लो की जमीन के बराबर या थोड़ी नीचे से काट ले और इसी खेत के बाहर कहीं सुरक्षित स्थान पर डाल दें जिससे कि अन्य पौधा में ना फैले। इसे जानवरों को भी खिला सकते है। खेत में कोराजन लगाने के बाद एक से दो दिन के अंदर सिंचाई अवश्य कर दें जिससे की कीटनाशक पूरी खेती मिल सके। सिंचाई करने के बाद हो सके तो खेत की जुताई -गुड़ाई करने से बचे। लेकिन अगर जरूरत हो तो कर भी सकते हैं लेकिन संभव हो तो दूसरी सिंचाई के बाद ही जुताई -गुड़ाई करें। दूसरी सिंचाई 10 से 12 दिनों के अंतराल पर अवश्य करें। इसके बाद खेत की अच्छे से जुताई गुड़ाई ई करें ।

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