देश में बड़ी संख्या में लोग स्वास्थ्य बीमा के दायरे से बाहर हैं, जिससे चिकित्सा खर्च बढ़ने पर उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। इस समस्या से निपटने के लिए, केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य बीमा की लागत कम करने पर विशेष ज़ोर दिया है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इसे वहन कर सकें और समय पर इलाज करा सकें।
वित्त मंत्रालय और प्रमुख हितधारकों की महत्वपूर्ण बैठक
वित्त मंत्रालय ने हाल ही में बीमा कंपनियों, अस्पतालों, सामान्य बीमा परिषद और स्वास्थ्य सेवा प्रदाता संघ के प्रतिनिधियों के साथ एक महत्वपूर्ण चर्चा की। बैठक की अध्यक्षता वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नागराजू ने की। चिकित्सा मुद्रास्फीति, बढ़ते प्रीमियम और स्वास्थ्य सेवाओं की लागत जैसे मुद्दों की गहन समीक्षा की गई। मंत्रालय का कहना है कि स्वास्थ्य बीमा की ऊँची लागत जनता के लिए इसके लाभों को सीमित करती है।
उपचार प्रक्रिया में समानता और पारदर्शिता पर ज़ोर
बैठक के दौरान, सचिव ने बीमा कंपनियों और अस्पतालों को उपचार के लिए एक समान मानक अपनाने की सलाह दी। उनका मानना है कि यदि अस्पतालों के चयन के नियम स्पष्ट और सुसंगत हों, और कैशलेस दावा प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाया जाए, तो इससे बीमा लागत में उल्लेखनीय कमी आ सकती है। इससे न केवल ग्राहकों का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि सेवा की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि सभी हितधारकों को स्वास्थ्य सेवा को आम जनता के लिए किफ़ायती और अधिक सुलभ बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।IRDAI द्वारा प्रतिबंध लगाने से वरिष्ठ नागरिकों को सबसे बड़ा झटका
वरिष्ठ नागरिक लंबे समय से बढ़ते प्रीमियम का दबाव झेल रहे हैं। इस समस्या को कम करने के लिए, भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने जनवरी में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। इसके तहत, बीमा कंपनियों को निर्देश दिया गया कि वे 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के पॉलिसीधारकों के प्रीमियम में बिना पूर्व अनुमति के 10% से अधिक की वृद्धि न करें। IRDAI को कई शिकायतें मिली थीं कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में असाधारण वृद्धि से उन पर भारी वित्तीय बोझ पड़ रहा है। नए नियम इस बोझ को कम करने और बीमा को और अधिक सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण साबित होंगे।
स्वास्थ्य सेवा को किफ़ायती और सुलभ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम
सरकार का मानना है कि स्वास्थ्य बीमा तभी प्रभावी होगा जब इसकी लागत सीमित हो और सेवा प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़े। मंत्रालय की इस पहल से भविष्य में स्वास्थ्य बीमा को व्यापक स्वीकृति मिलने और आम लोगों को बढ़ती चिकित्सा लागत से सुरक्षा मिलने की उम्मीद है। यह कदम देश में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लक्ष्य को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।