बहुप्रतीक्षित खबर आखिरकार आ ही गई। UPI उपयोगकर्ता इसे जानकर खुश होंगे, यह दिवाली के तोहफे जैसा है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने जानकारी दी है कि फास्टैग न लगवाने पर अब टोल शुल्क 1.25 गुना बढ़ जाएगा। खास बात यह है कि जिन वाहनों में फास्टैग नहीं लगा है, उनके लिए अब UPI के ज़रिए भुगतान किया जा सकेगा। पहले, अगर उनके वाहन में फास्टैग नहीं होता था, तो मालिकों को दोगुना टोल शुल्क देना पड़ता था। अब इस नियम को अपडेट किया जा रहा है।
सरकार का कहना है कि फास्टैग ने टोल प्लाजा पर लंबी कतारों को कम कर दिया है। 2022 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, टोल प्लाजा पर औसत प्रतीक्षा समय अब केवल 47 सेकंड है। देश में लगभग 98% राजमार्ग उपयोगकर्ता फास्टैग का उपयोग करते हैं। यह प्रणाली न केवल समय बचाती है, बल्कि टोल संग्रह को पारदर्शी भी बनाती है।
हालांकि, कुछ लोग अभी भी फास्टैग का उपयोग नहीं करते हैं। वे नकद भुगतान पसंद करते हैं। इससे टोल संग्रह में अनियमितताओं का खतरा बढ़ जाता है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जून 2024 में उपग्रह आधारित टोल संग्रह प्रणाली के शुभारंभ के दौरान कहा था कि नकद भुगतान से सालाना लगभग 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
नए नियम का महत्व
नए नियम से नकद भुगतान में कमी आएगी। यूपीआई के बढ़ते इस्तेमाल से टोल संग्रह और अधिक पारदर्शी होगा और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलेगा। इस कदम से उन लोगों को भी राहत मिलेगी जो किसी कारणवश फास्टैग प्राप्त नहीं कर पा रहे थे। मंत्रालय का मानना है कि इससे टोल प्लाजा पर यातायात में और तेजी आएगी।
सरकार का उद्देश्य क्या है?
सरकार के इस फैसले को टोल संग्रह बढ़ाने और इसे ग्राहक-अनुकूल बनाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के साथ-साथ टोल प्लाजा पर धोखाधड़ी वाले लेनदेन पर भी अंकुश लगाएगा, जिससे टोल संग्रह में संभावित रूप से वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, इस नई सुविधा से टोल प्लाजा पर यात्रा का समय कम होने की उम्मीद है। वर्तमान में, देश में फास्टैग की पहुँच लगभग 98% तक पहुँच गई है।