इस त्योहारी सीज़न में खाद्य तेल की बढ़ती कीमतें आपको चिंतित कर सकती हैं। सितंबर के मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर नज़र डालें तो दालों और सब्जियों की कीमतों में गिरावट आई है। लेकिन खाद्य तेल की कीमतों में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है। जून में खाद्य तेल की मुद्रास्फीति दर 17.75 प्रतिशत तक पहुँच गई। विशेषज्ञों का कहना है कि त्योहारी सीज़न आने पर खाद्य तेल की कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है।
सरकार द्वारा शुल्क में कटौती के बावजूद भी खाद्य तेल की कीमतों में कोई खास कमी नहीं आई है। सरसों के तेल की कीमतों में 27 प्रतिशत और सूरजमुखी के तेल की कीमतों में 31 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सरसों के तेल की कीमत अब ₹178 प्रति लीटर है, जबकि पिछले साल यह ₹140 प्रति लीटर थी।
पिछले एक साल में अन्य खाद्य तेलों की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। वनस्पति तेल की कीमत एक साल पहले ₹124 प्रति लीटर थी, जो अब ₹157 प्रति लीटर है।
खाद्य तेल की कीमतें बढ़ रही हैं
सूरजमुखी तेल की कीमत पिछले साल ₹122 प्रति लीटर थी। अब यह ₹160 प्रति लीटर है।
पाम तेल ₹99 से बढ़कर ₹130 प्रति लीटर हो गया है।
सोयाबीन तेल ₹120 से बढ़कर ₹146 प्रति लीटर हो गया है।
दालों और सब्जियों की कीमतों में गिरावट आई है, लेकिन खाद्य तेल की कीमतें अभी भी ऊँची हैं।
जून मुद्रास्फीति के आँकड़े
जून में खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट आई। खुदरा खाद्य मुद्रास्फीति 74 महीनों में सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई।
सब्जियाँ पिछले साल की तुलना में 19% सस्ती हैं। यही कारण है कि खाद्य पदार्थों की कीमतें कम हैं।
लेकिन खाद्य तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। जून में खाद्य तेल की मुद्रास्फीति 17.75% थी।
सरकारी शुल्क में कटौती
सरकार ने सूरजमुखी, सोयाबीन और पाम तेल जैसे कच्चे तेलों पर सीमा शुल्क 20% से घटाकर 10% कर दिया है। इससे ग्राहकों के लिए तेल की कीमतों को कम करने में मदद मिलेगी। इस कदम से कच्चे और रिफाइंड तेलों के बीच शुल्क अंतर भी 8.75% से घटकर 19.25% हो गया। सरकार खाद्य तेल की कीमतें कम रखकर लोगों की मदद करना चाहती है।