धर्म ग्रंथो के अनुसारसाल में 4 नवरात्रि होती है जिसमें से 2 गुप्त नवरात्रि कही जाती है और 2 शरदीय और चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है ।एक्सपर्ट्स बताते हैं कि गुप्त नवरात्रि को तंत्र -साधना और साधु संत धूम -धाम से मनाते है। नवरात्रि का पर्व देश भर में बहुत श्रद्धा और विश्वास से मनाया जाता है। 9 दिनों तक आदिशक्ति मां दुर्गा की अलग-अलग रूप में पूजा की उपासना की जाती है। एक शरदीय नवरात्रि और एक चैत्र नवरात्रि के नाम से जानी जाती है।
मंगलवार को अश्विनी नक्षत्र भी है
दरअसल पंचांग के अनुसार ,लगभग 30 साल बाद नवरात्रि का अद्भुत अमृत सिद्धि योग बन रहा है। इस दौरान देवी की आराधना से मृत्यु तुल्य कष्ट से भी छुटकारा मिलेगा। ज्योतिष बताते हैं कि चैत्र नवरात्रि इसलिए भी खास है क्योंकि हिंदू नव वर्ष की शुरुआत इसी नवरात्रि से होनी है। ज्योतिशो ने बताया कि नक्षत्रों में पहला नक्षत्र अश्विनी नक्षत्र माना गया है अगर मंगलवार को अश्विनी नक्षत्र हो तो वह अमृत सिद्ध योग कहलाते हैं। मंगलवार को अश्विनी नक्षत्र भी है।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भी इसी दिन है। इसलिए संयोग लगभग 30 साल बाद बन रहा है। मान्यताओं के अनुसार ,अगर नवरात्रि में देवी उपासना की जाए ,जो प्राचीन हो। विधि विधान और शुद्ध रूप से मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई है। मंदिर में देवी के पास बैठकर किए गए जप – तप से मुक्ति मिल जाती है।
किस समय करे पूजा
अथर्ववेद में बताया कि गुड़ी पड़वा के दिन जैसे अश्विनी नक्षत्र लगता है ,उसकी समाप्ति तक देवी की आराधना करने से मृत्यु तुल्य कष्टों का निवारण होता है। 9 अप्रैल को अश्विनी नक्षत्र सूर्योदय के घंटे बाद प्रारंभ हो जाएगा। नवरात्रि के समय मां भगवती और उसकी जागृति नव स्वरूप की पूजा करने का विधान है। मां की विधिवत पूजा अर्चना करने के साथ-साथ लोग व्रत भी रखते हैं जिससे उन्हें हर कष्ट को से उनको निजात मिल जाती है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है इसके साथ ही घर में सुख शांति बनी रहती है। नवरात्रि में माता के नौ रूपों की पूजा अर्चना भक्ति भाव से अवश्य करें जिससे जीवन की सभीकष्ट दूर हो जायेंगे।