Amul Milk Price 2025: भारत में दूध केवल एक पेय पदार्थ नहीं, बल्कि हर घर की ज़िंदगी का अहम हिस्सा है। सुबह की चाय हो या बच्चों का पोषण, या फिर त्योहारों और खास मौकों पर बनने वाली मिठाइयां, हर जगह दूध की ज़रूरत महसूस होती है। इसलिए इसकी कीमतों में होने वाला बदलाव सीधे हर परिवार के बजट पर असर डालता है।
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा दूध और कई खाद्य सामग्रियों को जीएसटी से मुक्त करने का फैसला उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। इस कदम से न केवल आम लोगों को सस्ता दूध मिलेगा, बल्कि डेयरी उद्योग और किसानों को भी इसका लाभ होगा। आने वाले समय में यह फैसला हर तबके के लिए राहत देने वाला साबित हो सकता है।
जीएसटी हटने से मिला तुरंत राहत
जीएसटी काउंसिल की बैठक में दूध और कई अन्य आवश्यक खाद्य सामग्रियों को टैक्स से मुक्त कर दिया गया है। अब दूध, पनीर और मावा जैसे उत्पाद पहले की तुलना में काफी सस्ते हो जाएंगे। पहले पैक्ड दूध पर 8% तक टैक्स लिया जा रहा था, जो सीधे उपभोक्ता की जेब पर भारी पड़ता था।\
टैक्स हटने के बाद अमूल और मदर डेयरी जैसे बड़े ब्रांडों ने कीमतें घटा दी हैं। पहले जहां एक लीटर अमूल गोल्ड फुल क्रीम दूध 69 रुपये मिलता था, वहीं अब यह लगभग 59 से 61 रुपये में उपलब्ध होगा। उपभोक्ताओं को रोजमर्रा की जरूरतों में तुरंत आर्थिक राहत महसूस होगी।
परिवार के बजट पर सकारात्मक असर
आज के समय में हर परिवार महीने भर में 30 से 40 लीटर दूध का इस्तेमाल करता है। जीएसटी हटने से दूध की कीमत प्रति लीटर 8 से 10 रुपये तक घटने के कारण एक औसत परिवार को हर महीने 250 से 300 रुपये की बचत हो सकती है। यह रकम लंबे समय तक बड़े स्तर पर राहत देती है।
महंगाई की लगातार बढ़ती मार झेल रहे आम लोगों के लिए यह बचत महत्वपूर्ण साबित होगी। छोटे और मध्यम वर्गीय परिवार अब वही दूध कम दामों में खरीद पाएंगे, जिससे उनकी मासिक बचत बढ़ेगी और अन्य ज़रूरतों पर खर्च करना आसान होगा।
डेयरी उद्योग में बढ़ेगी मजबूती
दूध का दाम घटने से केवल उपभोक्ता ही नहीं, डेयरी उद्योग भी इसका लाभ उठाएगा। पहले खुला दूध टैक्स-फ्री होने के कारण लोग उसे प्राथमिकता देते थे, पर अब पैकेट वाला दूध भी लगभग समान कीमत पर मिलेगा। इससे गुणवत्ता वाले पैक्ड दूध की खपत बढ़ेगी और ब्रांडेड डेयरी उत्पादों की बिक्री तेज होगी।
यह बदलाव उद्योग को नई गति देगा, क्योंकि मांग बढ़ने से डेयरी कंपनियों का उत्पादन और वितरण नेटवर्क और मजबूत होगा। साथ ही, प्रतियोगिता बढ़ने से उपभोक्ताओं को और बेहतर गुणवत्ता व विकल्प उपलब्ध होंगे। यह भारतीय डेयरी सेक्टर के लिए लंबे समय तक सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
किसानों और उत्पादकों को लाभ
दूध के दाम स्थिर होने और पैकेट वाले दूध की खपत बढ़ने से किसानों की आय में भी सीधा इजाफा होगा। अब डेयरी कंपनियां सीधे किसानों से अधिक मात्रा में दूध खरीदेंगी। इससे ग्रामीण इलाकों में दूध उत्पादन करने वाले किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार देखने को मिलेगा।
]यह कदम किसानों को लंबे समय में आत्मनिर्भर और सशक्त बनाएगा। दूध उत्पादन में लगी लाखों ग्रामीण महिलाएं और छोटे किसान अब सीधे बाजार और ब्रांडेड कंपनियों से जुड़ सकेंगे। सरकार का यह फैसला ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी मजबूती का कार्य करेगा।
त्योहारों के मौसम में उपभोक्ता राहत
भारत में त्योहारों का मौसम दूध और उससे बने उत्पादों की मांग को कई गुना बढ़ा देता है। नवरात्रि, दुर्गा पूजा और दिवाली के समय बड़ी मात्रा में पनीर, मावा और मिठाइयां बनाई और खरीदी जाती हैं। ऐसे में दूध महंगा होने पर सीधा असर परिवारों की जेब पर पड़ता था।
अब टैक्स हटने के बाद दूध और उससे बने उत्पाद किफायती मिलेंगे। पनीर के दामों में 20 से 30 रुपये प्रति किलो की कमी और मावा के दाम भी सस्ते होने की संभावना है। इससे त्योहारों पर परिवारों की खरीदारी अधिक होगी और मिठाई बाजार में भी रौनक लौट आएगी।
दीर्घकाल में बढ़ेगी गुणवत्ता और विकल्प
विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी हटने का असर केवल कीमतों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे उद्योग के सुधार में मदद करेगा। ब्रांडेड डेयरी उत्पादों की मांग बढ़ने से कंपनियों को उपभोक्ताओं को और अधिक विकल्प देने की प्रेरणा मिलेगी। इससे गुणवत्ता पर भी खास ध्यान दिया जाएगा।
लंबे समय में यह फैसला उपभोक्ताओं, किसानों और उद्योग सभी के लिए फायदेमंद साबित होगा। देश में दूध उत्पादन और खपत दोनों और मजबूत होंगे। आने वाली पीढ़ियां भी सस्ते और गुणवत्तापूर्ण डेयरी उत्पादों का लाभ उठा सकेंगी।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।