भजिया जलाशय की नहरें जर्जर, पानी खेतों तक नहीं पहुंच रहा, किसानों की परेशानी बढ़ी

Saroj kanwar
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Damoh News: दमोह जिले के बनिया गांव में स्थित 30 साल पुराने भजिया जलाशय की नहरें इस समय किसानों के लिए समस्या का कारण बन गई हैं। जलाशय से निकलने वाली लगभग 11 किलोमीटर लंबी दो नहरें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। जगह-जगह रिसाव होने के कारण पानी खेतों तक पहुंचने से पहले ही बह जाता है। इस स्थिति में किसान पंप और पाइप लगाकर पानी खींचने को मजबूर हैं।

नहरों की स्थिति इतनी खराब है कि बारिश के मौसम में भले ही तालाब पूरी तरह भर जाए, लेकिन पानी खेतों तक नहीं पहुंच पाता। नियम के अनुसार हर दस साल में नहरों की मरम्मत होना आवश्यक है, लेकिन लंबे समय से कोई स्थायी सुधार नहीं हुआ। तीन साल पहले केंद्र सरकार की आरआरआर योजना के तहत डेढ़ करोड़ रुपए का प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन विभागीय खामियों के कारण फाइल बार-बार वापस लौटाई गई।

जलाशय का संचालन पहले स्थानीय समिति द्वारा किया जाता था, लेकिन अब समिति का चुनाव लंबित है। परिणामस्वरूप न तो किसानों से टैक्स वसूला जा रहा है और न ही नहरों की नियमित देखरेख हो पा रही है। अधिकारियों द्वारा हर साल लीकेज पर मिट्टी डालकर नहरों को चालू रखा जाता है, लेकिन इससे समस्या और बढ़ जाती है। पानी का रिसाव बंद नहीं होता और आसपास के खेतों में बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है।

भजिया जलाशय से दो नहरें निकलती हैं — एक 7 किलोमीटर लंबी और दूसरी 3 किलोमीटर। ये नहरें बनिया गांव से सिंगपुर तक जाती हैं, लेकिन वर्तमान में पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। किसानों का कहना है कि मरम्मत के नाम पर केवल मिट्टी और रेत की बोरियां डाल दी जाती हैं, जो पानी में बह जाती हैं। रबी सीजन में सिंचाई के लिए समय रहते नहरों की मरम्मत न होना किसानों की चिंता का मुख्य कारण है।

अधिकारी बताते हैं कि जलाशय और नहरों की मरम्मत के लिए डेढ़ करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित है और प्रक्रिया अभी चल रही है। छह महीने पहले ईएनसी से सुधार के लिए प्रस्ताव आया था, जिसमें कुछ खामियां थीं। हाल ही में यह फाइल सुधार के बाद शासन को भेज दी गई है। फिलहाल, आगामी सिंचाई सीजन को देखते हुए नहरों में मिट्टी की फिलिंग कराई जाएगी। नहरों की नियमित मेंटनेंस के लिए हर साल 56 हजार रुपए का बजट निर्धारित है।

इस पूरी स्थिति को देखते हुए किसानों का कहना है कि अगर नहरों की मरम्मत और जलाशय की देखरेख समय पर नहीं हुई, तो सिंचाई प्रभावित होगी और खेती पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। ग्रामीण अपेक्षा कर रहे हैं कि विभाग जल्द स्थायी समाधान के लिए कदम उठाए और नहरों को पूरी तरह बहाल करे।

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