Primary Teacher Eligibility: शिक्षा क्षेत्र में नया बदलाव आने वाले समय में शिक्षक बनने के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत अब शिक्षक पात्रता के नियमों में व्यापक परिवर्तन किए गए हैं।
पारंपरिक बी.एड डिग्री के स्थान पर अब चार वर्षीय एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम अनिवार्य कर दिया गया है। यह नया कोर्स शिक्षक तैयारी प्रक्रिया को अधिक व्यापक और प्रभावी बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।
नई शिक्षा नीति से आने वाले बदलाव
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत शिक्षक तैयारी कार्यक्रम में मौलिक परिवर्तन किया गया है। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन द्वारा नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं जो भावी शिक्षकों की गुणवत्ता सुधारने पर केंद्रित हैं।
इस नई व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को बेहतर प्रशिक्षण देकर उनकी व्यावसायिक क्षमता बढ़ाना है। यह परिवर्तन 2027 से पूर्णतः लागू हो जाएगा और सभी इच्छुक अभ्यर्थियों को नए नियमों का पालन करना होगा।
बी.एड डिग्री की बदली स्थिति
पारंपरिक बी.एड कोर्स को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जा रहा है। सरकार ने स्पष्ट रूप से घोषणा की है कि भविष्य में केवल बी.एड डिग्री से शिक्षक नहीं बना जा सकेगा। अब एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम ही मान्य होगा।
यह निर्णय शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से लिया गया है। नए कोर्स में व्यावहारिक प्रशिक्षण और अकादमिक ज्ञान का बेहतर संयोजन होगा जो शिक्षकों को अधिक कुशल बनाएगा।
चार वर्षीय आईटीईपी कोर्स विवरण
इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (आईटीईपी) एक चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम है जिसे 12वीं कक्षा के बाद किया जा सकता है। इस कोर्स में शिक्षण कौशल, विषय ज्ञान और व्यावहारिक प्रशिक्षण का समुचित मिश्रण है।
आईटीईपी कोर्स की संरचना इस प्रकार की गई है कि छात्र शिक्षण के सभी पहलुओं में निपुणता हासिल कर सकें। इसमें कक्षा प्रबंधन, शिक्षण विधियां और बाल मनोविज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं।
प्राइमरी टीचर बनने की नई शर्तें
प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए अब डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन आवश्यक है। इसके साथ ही शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में उत्तीर्ण होना भी अनिवार्य है। यह दोहरी योग्यता शिक्षकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करती है।
नई व्यवस्था में व्यावहारिक अनुभव पर विशेष जोर दिया गया है। इच्छुक अभ्यर्थियों को कक्षा शिक्षण का पर्याप्त अनुभव प्राप्त करना होगा तभी वे योग्य शिक्षक बन सकेंगे।
राष्ट्रीय सामान्य प्रवेश परीक्षा प्रक्रिया
आईटीईपी कोर्स में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय सामान्य प्रवेश परीक्षा (एनसीईटी) आयोजित की जाती है। यह परीक्षा राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा संचालित की जाती है और इसमें सभी राज्यों के अभ्यर्थी भाग ले सकते हैं।
2023-24 सत्र से यह परीक्षा पायलट मोड में शुरू की गई है। परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को उनकी रैंक के अनुसार कॉलेज आवंटित किए जाते हैं।
भावी शिक्षकों के लिए तैयारी रणनीति
नए नियमों के अनुसार शिक्षक बनने की इच्छा रखने वाले छात्रों को 12वीं कक्षा से ही गंभीरता से तैयारी करनी चाहिए। विज्ञान, गणित और भाषा विषयों पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है क्योंकि ये आईटीईपी परीक्षा के मुख्य आधार हैं।
इसके अतिरिक्त शिक्षण कौशल विकसित करने के लिए सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लेना और बच्चों के साथ काम करने का अनुभव प्राप्त करना लाभकारी होगा। यह व्यावहारिक अनुभव भविष्य में शिक्षण कार्य में मदद करेगा।
नई व्यवस्था के फायदे और चुनौतियां
नई शिक्षा व्यवस्था से शिक्षकों की गुणवत्ता में निश्चित रूप से सुधार होगा। चार वर्षीय कोर्स से शिक्षकों को अधिक व्यापक ज्ञान और बेहतर प्रशिक्षण मिलेगा। यह व्यवस्था शिक्षा के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव लाएगी।
हालांकि यह परिवर्तन चुनौतियों से भरा है। कई छात्रों के लिए चार वर्षीय कोर्स की लागत और समय दोनों की समस्या हो सकती है। फिर भी लंबी अवधि में यह व्यवस्था शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक होगी।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।