हर साल होलिका दहन से पहले नरसिह द्वादशी मनाई जाती है।इसे नरसिह जयंती के नाम से जानते है।नरसिह द्वादशी का विशेष धार्मिक महत्व है और इसकी कथा होलिका दहन से जुडी है।प्रेरणिक कथा के अनुसार राजा हिरणकश्यप एक पापी राजा था जिसने अपने पुत्र को मरने के लिए अपनी बहन होलिका से इसे अग्नि में बैठने के लिए कहा था.लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से पहलाद बच गया और होलिका जलकर रख हो गई।इस घटना के सतह ही हिरण्यकश्यप के पापो का घड़ा भर गया और भगवान विष्णु ने नारहसिंह अवतार लेकर हिरण्कश्यय का वध किया था।
2024 में कब है नरसिह द्वादशी
पंचाग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु के नरसिंघ अवतर की पूजा की जाती है।इस दिन भगवान नरसिंघ खम्बे को चीरकर बाहर निकले थे और उन्होने देत्यो के राजा हिरणकश्यप का वध किया था।इस साल फाल्गुन माह के शुल्क पक्ष की द्वादशी तिथि 21 मार्च की देररात 2 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन 22 मार्च सुबह 4 बजकर 44 मिनट पर होगा।इस में 21 मार्च के दिन नरसिंह द्वादशी मनाई जाएगी।नरसिंह द्वादशी का शुभ मुहर्त सुबह 6 बजकर 24 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 55 मिनट तक है और दूसरा मुहर्त सुबह 10 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक है।
ऐसे करे पूजा
नरसिह द्वादशी के दिन सुबह ब्रहा मुहर्त में उठकर निवृत्त होकर स्नान करे और साफ कपड़े पहने।इसके बाद भगवान नरसिह की फोटो को समक्ष रखकर व्रत का संकल्प लिया जाता है।भगवान की पूजा करते समय मंत्र का जाप करे। भगवान नरसिंह की कथा पढ़े।भक्त पूजा के समय नरसिंह भगवान को अबीर,चंदन,पिले अक्षत,पिले पुष्प,गुलाल,दिप नारियल,पंचमेवा और फल आदि अर्पित करे।भगवान विष्णु की आरती गाकर पूजा का समापन करे।