2 बड़े रेलवे स्टेशनों के नाम बदले, अब जल्द होगा लागू! जानें नए नाम

Saroj kanwar
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हाल ही में भारतीय रेलवे ने दो बड़े रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। यह बदलाव सिर्फ स्टेशनों के नाम तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे स्थानीय संस्कृति, ऐतिहासिक महत्व और क्षेत्रीय पहचान को भी बढ़ावा मिलता है। हर दिन लाखों यात्री इन रेलवे स्टेशनों से गुजरते हैं, इसलिए नाम बदलना यात्रियों और वहां के स्थानीय लोगों, दोनों के लिए अहम बन जाता है। रेलवे स्टेशन का नाम किसी शहर या क्षेत्र का गौरव भी होता है और कई बार स्थानीय लोगों की भावनाओं के अनुरूप उसमें बदलाव भी लाया जाता है।

हमारे देश में रेलवे स्टेशनों के नाम समय-समय पर बदले जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों ने अपने प्रमुख रेलवे स्टेशनों के नाम स्थानीय इतिहास, प्रसिद्ध व्यक्तित्वों या धार्मिक स्थलों के नाम पर रखने की प्रक्रिया अपनाई है। इसके पीछे यह सोच भी है कि नई पीढ़ी को अपने क्षेत्र की संस्कृति और इतिहास से जोड़ा जा सके। रेलवे द्वारा इस तरह के बदलाव धीरे-धीरे पूरे देश में लागू किए जाते हैं ताकि सभी यात्री और स्थानीय लोग नई व्यवस्था के लिए तैयार हो सकें।

2 बड़े रेलवे स्टेशनों के नाम बदले – अब नए नाम से होगी पहचान

2025 में रेलवे द्वारा दो प्रमुख रेलवे स्टेशनों के नाम बदले गए हैं, जो चर्चा का विषय बन गया है। उत्तर प्रदेश के मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर अब पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन कर दिया गया है, वहीं इलाहाबाद जंक्शन को नए नाम प्रयागराज जंक्शन के रूप में पहचान दी गई है। इन बदलावों के पीछे मुख्य उद्देश्य था कि स्थानीय संस्कृति, ऐतिहासिकता और लोगों की भावनाओं का सम्मान किया जाए।

नाम बदलने की यह प्रक्रिया राज्य सरकारों की मांग और स्थानीय लोगों की इच्छाओं के अनुसार शुरू होती है। सबसे पहले राज्य सरकार केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजती है। फिर गृह मंत्रालय और रेल मंत्रालय की मंजूरी मिलती है। उसके बाद, रेलवे प्रशासन प्लेटफॉर्म, टिकिट, ऑफिशियल वेबसाइट और मोबाइल ऐप में सभी अपडेट करता है, जिससे यात्रियों को टिकिट बुकिंग में कोई परेशानी न हो।

ये बदलाव प्रशासनिक होने के साथ-साथ सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। अधिकतर मामलों में स्थानीय संस्कृति, ऐतिहासिक महत्व और क्षेत्र की पहचान को स्थापित करना ही प्राथमिक उद्देश्य है। इन नाम परिवर्तनों के साथ यात्रियों और स्थानीय समाज को अपनी विरासत और ऐतिहासिक पहचान का बोध होता है।

नाम बदलने की पूरी प्रक्रिया

रेलवे स्टेशनों का नाम बदलना एक लंबी प्रक्रिया है। इसके लिए सबसे पहले स्थानीय स्तर पर लोगों, नेताओं या संगठनों की तरफ से मांग उठती है। जब राज्य सरकार इस मांग को मान्यता देती है, तो केंद्र सरकार को नाम बदलने का प्रस्ताव भेजा जाता है। गृह मंत्रालय और रेल मंत्रालय से स्वीकृति मिलने के बाद ही नया नाम अधिकारिक तौर पर लागू किया जाता है। इसके बाद रेलवे प्रशासन द्वारा टिकिटिंग सिस्टम, प्लेटफॉर्म साइनबोर्ड, सूचना पट्ट तथा अन्य जगहों पर भी नए नाम को अपडेट कर दिया जाता है, ताकि यात्रियों को कोई असुविधा न हो।

उदाहरण के तौर पर, जब प्रयागराज जंक्शन और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के नाम बदलने की प्रक्रिया हुई थी, तो प्रशासन ने सभी जरूरी दस्तावेज़ों और ऑनलाइन सिस्टम को एक साथ अपडेट किया था। इससे न सिर्फ यात्रियों को नए नाम की जानकारी मिली, बल्कि स्थानीय लोगों की भावनाओं को भी सम्मान मिला।

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