गाड़ियों को नहीं है जरूरत इन न चाहने वाले फीचर्स की जरूरत ,केवल है पैसे की बर्बादी

Saroj kanwar
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इंडियन कार मार्केट काफी एडवांस हो गयी है। लगातार एडवांस हो रही तकनीक के साथ कारो मेंनए फीचर्स जोड़े जा रहे हैं। हालांकि कुछ ऐसे भी फीचर्स है जिनका कोई विशेष प्रयोग नहीं होता है। उनको लेकर ग्राहकों से अच्छी खासी रकम वसूली जाती है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ फीचर्स के बारे में बताने जा रहे हैं।

ऑटोमेटिक हेडलैम्प

लग्जरी कारों में ऑटोमेटिक हेडलैम्प्स दिए जाते हैं। ऑटो हेडलैंप से लाइट सेंसर लगा होता है जो अंधेरे को पता चलने पर हेडलाइट को चालू कर देता है। इस काम को आप मैन्युअल करके पैसे बचा सकते हैं।

सनरूफ

सनरूफ की पापुलैरिटी आसमान छू रही है लेकिन यह फीचर भारत में खास काम का नहीं है। इसे मूल रूप से यूरोप जैसी जगह में बाहर के मौसम का अनुभव करने के लिए डिजाइन किया गया है। यहां धुप बहुत ही कम देखने को मिलती है। वहीं भारत में इसका दुरुपयोग होते हुए देखा जा सकता है।

ऑटोमेटिक वाइपर

ऑटोमेटिक वाइपर विंडशील्ड पर पानी का पता लगा सकते हैं। रेन सेंसिंग वाइपर के नाम से भी जाना जाता है। ऑटो हेडलैंप की तरह यह पूरी तरह से ओवररेटेड है क्योंकि इस काम को मैन्युअल किया जा सकता है।

वॉइस कमांड

कार में इस सुविधा को अभी भी सुधार की आवश्यकता है। अधिकांश समय वॉइस कमांड का उपयोग करते समय सॉफ्टवेयर कमान को पहचानने में विफल रहता है।

Gesture Control

Gesture Control फीचर ड्राइवर का ध्यान भटका सकता है। वही नॉब या अन्य कंट्रोल्स का उपयोग करके वॉल्यूम लेवल जैसी सेटिंग्स को कंट्रोल किया जा सकता है।

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