भारत में होली की त्यौहार की अनूठी धूम देखने को मिलती है। हर साल फाल्गुन मास में मनाई जाने वाली होली की विशेष धार्मिक मान्यता होती है। इस दिन से हिरण्यकश्यप ,प्रहलाद और होलिका की पौराणिक जुड़ी रहती है। मान्यता है कि इस एक समय हिरण्यकश्यप का राजा रहा करता था जो भगवान विष्णु का विरोधी था। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु को घनिष्ठ भक्त था। वह दिन रात है श्री हरि की पूजा करता रहता था ।
हिरण्यकश्यप अपने प्रहलाद को मारने की काफी कोशिश की
हिरण्यकश्यप को इस बात से परेशानी थी और इसीलिए प्रह्लाद को मारना चाहता था। हिरण्यकश्यप अपने प्रहलाद को मारने की काफी कोशिश की। लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। एक बार हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद का वध करने के लिए कहा। हिरण्यकश्यप ने होलिका से कहा कि वह प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर आगे की चिता पर बैठ जाए क्योंकि होलिका को आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका आंच में भस्म हो गयी। इसके बाद से ही बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन किया जाता है।
इसके अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है जिसे धुलंडी कहते हैं ।
यहां जाने इस साल कब मनाया जाएगा होली का पर्व।
पंचांग के अनुसार , हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा पर होली मनाई जाती है। इस साल 24 मार्च के दिन होलिका दहन किया जाएगा और अगले दिन 25 मार्च के दिन रंगों वाली होली की जाएगी। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च रात 11:13 से शुरू होकर रात 12:27 तक रहेगा। होलिका दहन के दिन ओम त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्’ मंत्र का जाप किया जा सकता है। इसके अलावा होलिका दहन के दौरान गायत्री माता के महामंत्र ‘ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्’ का जाप किया जा सकता है।