electricity bill scheme: उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं, खासकर उन लोगों के लिए राहत की खबर है जिन्होंने ओटीएस योजना 2024-25 (One Time Settlement) का फायदा नहीं उठा पाए. अब 31 जुलाई 2025 तक उन्हें एक और मौका दिया जा रहा है जिससे वे डिफॉल्टर सूची से बाहर आ सकते हैं.
इस योजना के तहत उपभोक्ता सिर्फ 1000 रुपये या ओटीएस में मिली छूट का 10% (जो अधिक हो) अतिरिक्त जमा करके विलंब अधिभार से मुक्ति पा सकते हैं. इस संबंध में पावर कॉरपोरेशन ने आदेश जारी कर दिए हैं और यह सुविधा 2 जुलाई से 31 जुलाई तक उपलब्ध रहेगी.
किसे मिलेगा यह दूसरा मौका?
उन उपभोक्ताओं के लिए अवसर जिन्होंने पंजीकरण किया लेकिन भुगतान नहीं किया पावर कॉरपोरेशन के एमडी पंकज कुमार ने जानकारी दी कि कई उपभोक्ताओं ने ओटीएस योजना के तहत पंजीकरण तो कराया था लेकिन किस्तों का भुगतान नहीं किया. नतीजतन, वे डिफॉल्टर की सूची में शामिल हो गए. अब ऐसे उपभोक्ताओं को दोबारा पंजीकरण करने की जरूरत नहीं है.
यदि वे इस बार भी तय समय सीमा में भुगतान नहीं करते हैं, तो उन्हें भविष्य में अधिभार में किसी भी छूट से वंचित कर दिया जाएगा और यह राशि उनके बिजली बिल में जोड़ दी जाएगी.
अधिभार की गणना कैसे होगी?
छूट का 10% या 1000 रुपये देना अनिवार्य इस योजना में स्पष्ट किया गया है कि उपभोक्ताओं को अधिभार से छूट पाने के लिए ओटीएस छूट राशि का 10% या न्यूनतम 1000 रुपये, जो भी अधिक हो, अतिरिक्त जमा करना होगा.
यह भुगतान उन्हें डिफॉल्टर सूची से बाहर करने के लिए आवश्यक है, जिससे वे आगे उचित तरीके से बिल भुगतान की प्रक्रिया में शामिल हो सकें और अधिभार से राहत पा सकें.
पावर कॉरपोरेशन के टेंडर पोर्टल पर उठा विवाद
टेंडर की गोपनीयता पर उठे सवाल एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में पावर कॉरपोरेशन टेंडर पोर्टल को पूरी तरह गोपनीय बनाने जा रहा है. अब कोई भी व्यक्ति टेंडर को सार्वजनिक रूप से नहीं देख सकेगा. इसके साथ ही, जो भी व्यक्ति 5 लाख रुपये से अधिक के टेंडर में भाग लेगा, उसे नॉन-डिसक्लोजर एग्रीमेंट (गैर प्रकटीकरण समझौता) पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होगा.
एनआईसी (NIC) के सहयोग से इस तकनीकी बदलाव की योजना बनाई जा रही है. हालांकि, इस कदम पर विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सवाल उठाए हैं. उनका आरोप है कि इससे टेंडर पूलिंग और भ्रष्टाचार की आशंका बढ़ सकती है. उन्होंने नियामक आयोग में लोक महत्व याचिका (Public Interest Petition) भी दाखिल की है.
जुलाई में निजीकरण टेंडर की संभावना
ऊर्जा विभाग को भेजा जाएगा मसौदा सूत्रों के अनुसार, पावर कॉरपोरेशन जुलाई 2025 में ही निजीकरण से संबंधित टेंडर जारी करने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए आयोग की आपत्तियों का जवाब तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द ही ऊर्जा विभाग को भेजा जाएगा.
ऊर्जा विभाग से स्वीकृति मिलने के बाद, मसौदा एक बार फिर आयोग को भेजा जाएगा. इसके बाद अंतिम निर्णय के आधार पर निजीकरण प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा.
बिजली उपभोक्ताओं के लिए यह मौका क्यों है जरूरी?
अधिभार से छुटकारा और जुर्माने से राहत यह नया अवसर उन उपभोक्ताओं के लिए अतिरिक्त राहत लेकर आया है, जो किसी कारणवश ओटीएस योजना का पूरा लाभ नहीं उठा पाए थे. इस बार समय रहते भुगतान करने पर उन्हें भविष्य में अधिक जुर्माना नहीं देना पड़ेगा और वे डिफॉल्टर सूची से बाहर आकर दोबारा सामान्य उपभोक्ता की श्रेणी में आ सकेंगे.
इसलिए, बिजली उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे इस योजना का लाभ समय रहते उठा लें ताकि आगे किसी प्रकार की कानूनी या वित्तीय कार्रवाई से बच सकें.