Haryana Ka Mausam: रविवार की सुबह करनाल और आसपास के क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश देखने को मिली, जिससे लोगों को भीषण गर्मी और उमस से बड़ी राहत मिली. सुबह 7 से 9 बजे के बीच बारिश हुई, जिसके बाद पूरे दिन बादलों की आवाजाही बनी रही.
मौसम की इस बदलाव से शहर का अधिकतम तापमान गिरकर 29 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो कि शनिवार की तुलना में 6 डिग्री कम रहा. वहीं न्यूनतम तापमान 26.0 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया.
IMD की रिपोर्ट
सीएसएसआरआई की जिला मौसम वेधशाला के अनुसार, रविवार को करनाल में 10.6 मिमी बारिश दर्ज की गई. यह बारिश खेती के लिए भी बेहद लाभकारी रही. विशेषकर धान और गन्ने की फसल को नमी मिली है और धान की रोपाई में तेजी देखी गई है.
इस बारिश के कारण कुछ इलाकों में जलभराव भी देखने को मिला. पुराने बस स्टैंड के पीछे और कर्ण कैनाल से मॉडल टाउन जाने वाली सड़क पर पानी भर गया था, जिससे लोगों को कुछ समय के लिए असुविधा हुई.
रविवार शाम तक मौसम रहा सुहावना
दिनभर बादलों की आवाजाही बनी रही, जिससे तेज धूप नहीं निकली और वातावरण ठंडा महसूस हुआ. शाम को मौसम विभाग ने बारिश की संभावना को लेकर अलर्ट जारी किया था, लेकिन देर रात तक जिले में बारिश नहीं हुई.
हालांकि, हवाओं में ठंडक के कारण लोगों को राहत महसूस हुई और वातावरण शांत व सुहावना बना रहा.
सोमवार और मंगलवार को फिर बरस सकते हैं बादल
मौसम वैज्ञानिक डॉ. मदन खीचड़ ने बताया कि हरियाणा के अधिकतर जिलों में मानसून की दस्तक हो चुकी है. उन्होंने कहा कि रविवार को भी कई जिलों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई.
उनके मुताबिक, सोमवार और मंगलवार को भी करनाल सहित कई जिलों में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना बनी हुई है. कहीं-कहीं बूंदाबांदी भी हो सकती है. इस दौरान अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे बना रहेगा.
मानसून की गतिविधियों से खेती को मिल रहा है लाभ
बारिश ने जहां आम जनजीवन को राहत दी है, वहीं यह खेती-बाड़ी के लिए वरदान साबित हो रही है.
धान और गन्ने की फसल को नमी मिलने से किसानों में उत्साह है. विशेष रूप से धान की रोपाई कार्य में तेजी आ गई है, जो मानसून की अच्छी शुरुआत का संकेत देता है.
जलभराव की समस्या फिर बनी चिंता का कारण
बारिश के साथ शहर में जलनिकासी की समस्याएं भी सामने आईं. विशेषकर नीचे वाले इलाकों में जलभराव देखा गया, जिससे स्थानीय प्रशासन पर सवाल खड़े हुए हैं.
भविष्य में भारी बारिश की स्थिति में जलभराव की समस्या और गंभीर हो सकती है, इसलिए स्थानीय निकायों को सक्रियता दिखानी होगी.