Smart Meter Disconnection: बिल बकाया और बिजली चोरी जैसी पुरानी चुनौतियों से निबटने के लिए पावर कॉरपोरेशन ने शहर तथा उप-नगरीय इलाक़ों में स्मार्ट मीटर लगाने का बीड़ा उठाया है। योजना के पहले चरण में ही करीब 53 हज़ार कनेक्शनों को हाई-टेक कर देने का लक्ष्य तय हुआ है। उद्देश्य साफ़ है—रियल-टाइम मॉनिटरिंग, त्वरित बिलिंग और बिना मानवीय हस्तक्षेप के ऑटोमैटिक डिस्कनेक्शन, ताकि न तो राजस्व का नुक़सान हो और न उपभोक्ताओं को अनावश्यक परेशानी झेलनी पड़े।
कैसे काम करेगा नया सिस्टम
स्मार्ट मीटर इंटरनेट-आधारित AMR (Automatic Meter Reading) तकनीक पर चलते हैं। जैसे ही उपभोक्ता का बकाया 10 हज़ार रुपये से ऊपर जाता है, मीटर सर्वर को फ्लैग करता है। सर्वर से जुड़े एक्सईएन व उप-खंड अधिकारी की डैशबोर्ड पर चेतावनी दिखते ही ऑटोमैटिक कमांड जारी होती है और सप्लाई रेमोट से ही बंद हो जाती है। इस पूरी प्रक्रिया में महज़ क्लिक भर की देरी होती है—ना लाइनमैन भेजने की ज़रूरत, ना ही फिज़िकल सील तोड़ने-जोड़ने की।
मैसेज अलर्ट से मिलेगी आख़िरी चेतावनी
डिस्कनेक्शन से पहले उपभोक्ता के रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर पर दो सूचनाएँ भेजी जाती हैं—पहली, बकाया रकम और दूसरी, लाइन कटने की निर्धारित तारीख़। यह दोनों संदेश उपभोक्ता को कम से कम 72 घंटे पहले मिल जाते हैं, ताकि वह ऑनलाइन पोर्टल, UPPCL ऐप या नज़दीकी कलेक्शन सेंटर पर जाकर भुगतान कर सके।
अब तक का आँकड़ा क्या कहता है
शहर के 43 विद्युत उपकेंद्रों से क़रीब 4 लाख 75 हज़ार उपभोक्ता जुड़े हैं। इनमें से 8 हज़ार कनेक्शनों पर स्मार्ट मीटर लग चुके हैं। नतीजा:
1,100 उपभोक्ताओं की बिजली कट चुकी है, क्योंकि उनका बिल 10 हज़ार रुपये से ऊपर था।
इनमें से करीब 700 उपभोक्ता बकाया जमा करके फिर से री-कनेक्ट हो चुके हैं।
लगभग 400 कनेक्शन अभी भी बंद पड़े हैं, क्योंकि बकाया अदा नहीं हुआ।
5 हज़ार बकाया वालों को भी सतर्क रहना होगा
विभाग ने चेतावनी दी है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद यदि बकाया 5 हज़ार रुपये भी पार कर गया, तो वही ऑटोमैटिक ट्रिप की प्रक्रिया लागू होगी। इससे पहले उपभोक्ता को सिर्फ़ एक स्मरण संदेश भेजा जाएगा।
कहां-कहां हो रहा है इंस्टॉलेशन
स्मार्ट मीटर लगाने का ठेका एक निजी कंपनी को मिला है। उसका लक्ष्य है:
शहरी क्षेत्र—सभी बहुमंज़िला इमारतें, बाज़ार और कॉमर्शियल कॉम्प्लैक्स।
उप-नगरीय क्षेत्र—घने आबादी वाले मोहल्ले और नई कॉलोनियाँ।
स्थानीय कर्मचारियों को भी ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वे मीटर-रीडिंग, अनियमितता की पहचान और ग्राहक सहायता जैसे काम तुरंत कर सकें।
विभाग को क्या मिलेगी सहूलियत
पेपरलेस बिलिंग: हर महीने बिल प्रिंट करने-बाँटने का ख़र्च शून्य।
रीयल-टाइम डेटा: लोड पैटर्न, चोरी के शक, और फ़ॉल्ट-लोकेशन तुरंत दिखता है।
मैनपावर घटेगी: लाइनमैन की जगह डिजिटल ट्रिप कमांड।
राजस्व बढ़ेगा: बकाया वसूली में तेज़ी से सुधार।
ग्राहक के लिए क्या हैं फायदे
खुद देखें रोज़ का खपत पैटर्न—UPPCL ऐप पर ग्राफ़िकल रिपोर्ट।
पेमेंट के कई विकल्प—UPI, नेटबैंकिंग, डेबिट-क्रेडिट कार्ड।
बिल सुधार—अनियमित रीडिंग का चांस न के बराबर।
डिस्कनेक्शन से पहले अलर्ट—आख़िरी पल में भी ऑनलाइन भुगतान की सुविधा।
‘स्मार्ट’ के ज़रिए बिजली चोरी पर भी नकेल
स्मार्ट मीटर में टैंपर अलार्म लगा होता है। कोई छेड़छाड़ होने पर सिस्टम लीक-प्रूफ़ लॉग बनाता है और कंट्रोल रूम को तुरंत जानकारी देता है। इससे विद्युत चोरी की घटनाएँ घटेंगी और पकड़ आसान होगी।
बकाया वसूली पर सीधा असर
अधिशाषी अभियंता ई. राकेश कुमार वर्मा ने बताया, “अब उपभोक्ता समय पर बिल जमा कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि ऑटो-कट विकल्प सक्रिय है। विभाग को बड़ी राहत मिली है—हर महीने मीटर रीडिंग की मशक़्क़त ख़त्म और नकदी प्रवाह बेहतर।”
दूसरे राज्यों में क्या रहे अनुभव
देश के कई बड़े शहर—दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद—पहले ही स्मार्ट मीटर अपना चुके हैं। वहाँ लाइन-लॉस 22 % से गिरकर 14 % तक आ गया है। हर साल करोड़ों रुपये की बचत दर्ज हुई है। उत्तर प्रदेश में भी इससे लाइन-लॉस और ट्रांसफार्मर ओवरलोडिंग कम होने की उम्मीद है।
क्या बढ़ सकते हैं बिल के चार्ज
विभाग का दावा है कि मीटर लागत को किस्तों में वसूला जाएगा, जिससे उपभोक्ता पर एक-मुश्त बोझ ना पड़े। वहीं बकाया समय पर भरने पर सरचार्ज में छूट जैसी प्रोत्साहन योजनाएँ भी चल सकती हैं।
शहरवासियों को क्या करना चाहिए
अपने मोबाइल नम्बर अपडेट रखें ताकि चेतावनी संदेश मिल सकें।
UPPCL ऐप डाउनलोड कर रोज़ का डेटा देखें।
बकाया ना बढ़ने दें—कम से कम मिनिमम अमाउंट समय से भरें।
मीटर की लाइट या डिस्प्ले में गड़बड़ी दिखे तो तुरंत 1912 हेल्पलाइन पर सूचना दें।
आगे का रोडमैप
पहले चरण की सफलता के बाद विभाग का लक्ष्य है:
प्री-पेड मीटर विकल्प शुरू करना, जिससे उपभोक्ता ‘रिचार्ज करो—बिजली चलाओ’ मॉडल पर जा सकें।
अगले दो साल में सभी 4 लाख 75 हज़ार उपभोक्ता स्मार्ट मीटर दायरे में लाना।
ग्रामीण क्षेत्र में भी चरण-बद्ध विस्तार।