Water Bill Waiver Scheme: दिल्ली सरकार और जल बोर्ड की ओर से राजधानी के लाखों लोगों को बड़ी राहत देने की तैयारी चल रही है. दिल्ली जल बोर्ड एक नई नीति पर विचार कर रहा है. जिसके तहत पुराने और विवादित पानी के बिलों में 90 से 100 प्रतिशत तक की छूट दी जा सकती है. हालांकि यह राहत सभी उपभोक्ताओं को नहीं मिलेगी. बल्कि इसे कॉलोनियों की श्रेणी (कैटेगरी) के आधार पर बांटा जाएगा. इस नीति पर अंतिम निर्णय 25 जून 2025 को होने वाली बोर्ड मीटिंग में लिया जा सकता है.
इन कॉलोनियों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा
इस प्रस्तावित योजना के तहत दिल्ली की कॉलोनियों को A से लेकर H तक कैटेगरी में बांटकर छूट देने की बात हो रही है. A और B कैटेगरी की कॉलोनियों में रहने वाले उपभोक्ताओं को बिल की पूरी राशि चुकानी होगी, या फिर मामूली छूट मिलेगी. वहीं E, F, G और H कैटेगरी की कॉलोनियों में रहने वाले घरेलू उपभोक्ताओं को 90% से 100% तक छूट मिल सकती है. कमर्शियल और इंडस्ट्रियल कैटेगरी के उपभोक्ता छूट के दायरे से बाहर रखे जा सकते हैं.
जल बोर्ड की अगली बोर्ड मीटिंग में होगी नीति पर मुहर
दिल्ली जल बोर्ड की बोर्ड मीटिंग 25 जून को प्रस्तावित है. जिसमें इस नीति को औपचारिक मंजूरी मिलने की संभावना है. बोर्ड ने संकेत दिए हैं कि यह योजना सिर्फ घरेलू उपभोक्ताओं के लिए लागू होगी. ताकि गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को राहत मिल सके.
बकाया बिलों की संख्या में भारी बढ़ोतरी
जल बोर्ड अधिकारियों के अनुसार बकाया बिलों से जुड़ी शिकायतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. फरवरी 2024 तक ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या 10.68 लाख थी. पिछले एक साल में यह संख्या 4.22 लाख और बढ़कर अब 14 से 15 लाख तक पहुंच चुकी है. इन उपभोक्ताओं पर जल बोर्ड का कुल बकाया करीब 6,000 करोड़ रुपये हो चुका है. यह बढ़ती संख्या दिल्ली सरकार और जल बोर्ड दोनों के लिए चिंता का विषय बन चुकी है.
विवादित बिलों पर क्यों बढ़ रही हैं शिकायतें?
ज्यादातर उपभोक्ताओं की शिकायत है कि बिल खपत से ज्यादा आ रहे हैं और मीटर रीडिंग गलत आधार पर औसतन जोड़ी जा रही है. कई उपभोक्ता कहते हैं कि कोविड काल के दौरान जब वे घर पर नहीं थे. उस समय भी उन्हें भारी बिल भेजा गया. कुछ उपभोक्ताओं ने कहा कि बिना पानी की खपत किए भी उन्हें लाखों रुपये के एरियर के साथ बिल मिला. इन तमाम विवादों के चलते दिल्ली जल बोर्ड अब एक नई न्यायसंगत पॉलिसी लाने की दिशा में काम कर रहा है
कमर्शियल और इंडस्ट्रियल उपभोक्ताओं को नहीं मिलेगा फायदा
जल बोर्ड सूत्रों के अनुसार इस प्रस्तावित राहत योजना से कमर्शियल और इंडस्ट्रियल उपभोक्ताओं को बाहर रखा जा सकता है. इसकी वजह यह बताई जा रही है कि इन श्रेणियों से जल बोर्ड को सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त होता है और यदि इन्हें छूट दी गई तो राजस्व पर भारी असर पड़ेगा. इसलिए योजना केवल घरेलू उपभोक्ताओं के लिए सीमित रखी जा सकती है
MCD के मॉडल पर होगी कॉलोनी वर्गीकरण की प्रक्रिया
इस योजना में कॉलोनियों का वर्गीकरण दिल्ली नगर निगम (MCD) के हाउस टैक्स कैटेगरी मॉडल पर आधारित होगा. MCD ने A से H तक की कॉलोनियों को टैक्स के लिहाज से वर्गीकृत किया है. जल बोर्ड भी इसी तर्ज पर कॉलोनियों के सामाजिक-आर्थिक प्रोफाइल को ध्यान में रखते हुए छूट देने की योजना बना रहा है. खासकर E, F, G और H कैटेगरी की कॉलोनियों में गरीब और निम्न आय वर्ग के लोग ज्यादा रहते हैं, इसलिए इन पर सबसे ज्यादा राहत दी जा सकती है.
राजस्व नुकसान का होगा मूल्यांकन
जल बोर्ड की रेवेन्यू विंग अब यह मूल्यांकन कर रही है कि अगर 100% तक छूट दी जाती है, तो उससे जल बोर्ड पर कितना आर्थिक बोझ पड़ेगा. यदि यह राहत योजना लागू होती है, तो दिल्ली सरकार को जल बोर्ड की वित्तीय स्थिति मजबूत बनाए रखने के लिए अलग से मदद देनी पड़ सकती है. अधिकारियों के अनुसार सभी पहलुओं की आर्थिक समीक्षा के बाद ही पॉलिसी को अंतिम रूप दिया जाएगा.
उपभोक्ताओं के लिए क्या होगा फॉर्मूला?
यदि यह नीति लागू होती है, तो हर कैटेगरी के उपभोक्ताओं के लिए अलग-अलग स्लैब और नियम तय किए जा सकते हैं. कुछ मामलों में बकाया राशि पर ब्याज और लेट फीस माफ की जा सकती है. कुछ मामलों में मुख्य राशि पर ही आंशिक छूट दी जा सकती है. साथ ही विवादित मीटर रीडिंग्स के मामलों में जांच के बाद समाधान दिया जा सकता है.