भूमि सर्वे को लेकर आयी बड़ी खबर ,अब जमीन मालिकों को नहीं उठाने पड़ेगी कोई परेशानी

Saroj kanwar
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बिहार सरकारी भूमि सर्वेक्षण जमाबंदी प्रक्रिया डिजिटाइजेशन का आधार की प्रक्रिया को तेज कर दी है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने डिजिटाइज्ड करते हुए भूमि मालिकों के लिए इसे और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए कहीं नए प्रावधान किए हैं। अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह द्वारा प्रमंडलीय आयुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि डिजिटाइज्ड जमाबंदी में त्रुटियों को प्राथमिकता के साथ जायेगा । साथ ही इस प्रक्रिया में रेतो (भूमि धारकों) को राहत देने के लिए ऑफलाइन आवेदन का भी विकल्प जारी किया गया है।

राजस्थान मंत्री डॉक्टर दिलीप कुमार जायसवाल के अनुसार ,जमाबंदी में बढ़ती शिकायतों की निवारण के लिए परिमार्जन प्लस पोर्टल को जल्द ही ऑनलाइन लॉन्च किया जाएगा हालाँकि जब तक यह पोर्टल पूरी तरह से कार्यरत नहीं हो जाता तब तक रेयत ऑफलाइन आवेदन के माध्यम से जमाबंदी में सुधार करवा सकते हैं। डिजिटलाइजेशन के दौरान यदि किसी जमाबंदी की प्रविष्टि गलत दर्ज हो गई है अंचलाधिकारी स्वतः इसे सुधार सकते हैं या प्राप्त आवेदन के आधार पर सहीमौजा में प्रविष्टि सुनिश्चित करेंगे। इस कदम से रैयतों की समस्या को प्राथमिकता से हल करने में मदद मिलेगी।

ई-जमाबंदी में नई जमाबंदी का समावेश

डिजिटाइजेशन प्रक्रिया को और मजबूत बनाने के लिए ई-जमाबंदी को शामिल करने का निर्णय लिया गया है। यदि किसी 2 या उससे अधिक मौजों की जमाबंदी को एक मोजा में दर्ज कर दिया गया है तो इसे भी सही किया जाएगा। यह कदम भूमि रिकॉर्ड को अधिक सटीक और विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

भू अर्जन से संबंधित मामलों में ऑफलाइन LPC निर्गत करने की समय सीमा को 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने यह आदेश सभी सभी समाहर्ताओं और अंचल कार्यालयों को भेज दिया है। ऑनलाइन प्रक्रिया के साथ यह विशेष परिस्थितियों में ऑफलाइन LPC की जारी किया जा रहा है। भू अर्जन न के मामलों में यह सुविधा विशेष रूप से उपयोगी है क्योंकि इससे भूमि स्वामित्व संबंधी दस्तावेजों का सम्मान में तरीके से प्राप्त करने में मदद मिलती है।

भूमि सर्वेक्षण और डिजिटाइजेशन की प्रगति

बिहार सरकार द्वारा भूमि सर्वेक्षण और डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया को व्यापक रूप से लागू किया जा रहा है। इस प्रक्रिया के तहत राज्य की भूमि जमाबंदी को डिजिटाइज कर सार्वजनिक किया जा रहा है। यह कदम भूमि धारकों को उनके रिकॉर्ड तक आसान पहुंच प्रदान करने और र पारदर्शिता सुनिश्चित करने की उद्देश्य से उठाया गया है।
डिजिटाइजेशन के लाभ:

भूमि विवादों में कमी
सही रिकॉर्ड तक आसान पहुंच
पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी
भूमि मालिकों के लिए सरकारी प्रक्रियाओं में सरलता

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