केंद्र सरकार ने हाल ही में यूनिफाइड पेंशन स्कीम की घोषणा के तहत सरकारी कर्मचारियों की न्यूनतम गारंटी पेंशन 10000 में प्रति माह मिलेगी। इसके बाद निजी क्षेत्र में कर्मचारियों ने अपनी पेंशन बढ़ाने की मांग तेज कर दी है। वर्तमान में कर्मचारी पेंशन योजना के लाभार्थियों का आधार पर प्रति महा न्यूनतम पेंशन मिलती है यह राशि वर्ष 2014 में तय की गई थी। निजी कर्मचारियों की तरफ से वो अब इसे बढ़ाकर 9,000 रुपये प्रति माह करने की मांग हो रही है।
पेंशन सुधार को लेकर चेन्नई ईपीएफ पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन का कदम
चेन्नई ईपीएफ पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री को पत्र लिखते हुए EPS के तहत पेंशन में वृद्धि के अपील की। उनकी मांगों के मुख्य कारण है।
महंगाई में वृद्धि
हजार रुपए की राशि बढ़ती महंगाई के कारण अपर्याप्त है।
यूपीएस का प्रभाव
सरकारी कर्मचारियों के लिए यूपीएस लागू होने के बाद निजी क्षेत्र में कर्मचारियों को भी सामान आर्थिक सुरक्षा की आवश्यकता है।
जीवन यापन की लागत
वृद्धावस्था में स्वास्थ्य और अन्य खर्चों के लिए अधिक धन की आवश्यकता होती है।
EPS के तहत वर्तमान पेंशन व्यवस्था
नियोक्ता के योगदान में 8.33 परसेंट हिस्सा EPS में जाता है।
पेंशन की गणना सेवा अवधि और योजना योगदान के आधार पर होती है।
अधिकतम योगदान 15,000 रुपये के वेतन पर ही लिया जाता है।
पेंशन बढ़ोतरी के संभावित लाभ
आर्थिक सुरक्षा: वृद्धावस्था में वित्तीय स्थिरता मिलेगी।
बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं: पेंशन वृद्धि से स्वास्थ्य खर्चों को आसानी से पूरा किया जा सकेगा।
जीवन स्तर में सुधार: पेंशनभोगी अपनी दैनिक जरूरतें बेहतर तरीके से पूरी कर पाएंगे।
मांग में वृद्धि: अधिक पेंशन से बाजार में खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी।