EPF 95 स्कीम की पूरी समीक्षा की जानी चाहिए क्योंकि पेंशनर्स के लिए अनुपयोगी साबित हो रही है इसमें स्किम में सरकारी और पी ओ यू कर्मचारियों के बीच में भेदभाव देखा जा रहा है। उदाहरण के तौर पर BHEL का एक क्वालिफाइड इंजीनियर केवल 2500 मासिक पेंशन प्राप्त करता है वहीँ सरकारी विभाग का इंजीनियर 60000 महीना पेंशन पाता है यह विडंबना है कि दोनों की शिक्षा का स्तर सामान है और दोनों पर सरकारी नियंत्रण रहता है । फिर भी पेंशन इतना बड़ा अंतर।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल चुका है
कई बार पेंशनर्स का डेलिगेशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल चुका है। प्रधानमंत्री का बचपन गरीबी और संघर्ष में बिता था। इसलिए पेंशनर्स को उम्मीद थी कि वह उनकी समस्याओं को समझेंगे। और उन्हें हल करनेका वायदा करेंगे। हालांकि पेंशनर्स का मानना है है कि प्रधानमंत्री ने अभी तक अपने वादे पूरे नहीं किया है। बुजुर्ग पेंशनर्स ₹7500 प्लस पेंशन की मांग कर रहे हैं। यह मांग न केवल उचित है बल्कि सरकार को इसे दुगुना करना चाहिए ताकि बुजुर्ग लोग उनके हाथ पैर काम नहीं कर रहे हैं ,उन्हें दो समय का भोजन मिल सके।
वर्तमान में मिल रही 2500 की पेंशन में एक व्यक्ति का महीने भर का गुजारा कैसे हो सकता है
यह चिंता का विषय है की वर्तमान में मिल रही 2500 की पेंशन में एक व्यक्ति का महीने भर का गुजारा कैसे हो सकता है। बुजुर्ग पेंशनर्स की उम्र 70 साल से ऊपर हो गई है। उनमें गजब का जोश है। वे अपनी मांगों को मनवाने के लिए आंदोलन करने के लिए तैयार है। यह काबिले तारीफ है की इतनी उम्र में भी वे अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं। EPF 95 पेंशन स्कीम की समीक्षा आवश्यक का पेंशनर्स की मांग न केवल उचित है बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण भी है। सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और पेंशनर्स को सम्मानजनक पेंशन प्रदान करनी चाहिए ताकि वह अपनी बुजुर्ग अवस्था में भी आत्मनिर्भर और सम्मानित जीवन जी सके।