इस समय पूरा देश राम मय हुआ हुआ है। हर जगह प्रभु राम की छाप दिखाई दे रही है। फिर चाहे मंदिर ,चाहे बाजारों में भजन हो या लोगों की आपस की चर्चा है उसके साथ ही रामायण से जुड़ी कथाएं भी खूब पढ़ी और देखी जा रही है। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम ने अपने पिता के वचन निभाने के लिए 14 साल का वनवास काटा था। उनकी वनवास में मंथरा नाम की महिला की प्रमुख भूमिका थी।
,मंथरा राजा दशरथ की तीसरी पत्नी रानी की दासी थी
प्रचलित कथाओं के अनुसार , मंथरा राजा दशरथ की तीसरी पत्नी रानी की दासी थी और विवाह के बाद उनके साथ अयोध्या आई थी। लेकिन कुछ जगहों पर ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि मथुरा रानी कैकयी की रिश्तेदारी थी उनके पूर्व नाम रेखा था कैकेयी के पिता के भाई बृहदश्व की बेटी रेखा और कैकेयी बचपन से ही अच्छी दोस्त थीं रेखा काफी बुद्धिमान थी लेकिन बचपन में एक रोग हो गया था इस रोग के कारण ने बहुत गर्मी लगती थी और प्यार से तड़प उठती थी।
उनका नाम मंथरा पड़ा
एक दिन ऐसे ही जब रेखा को बहुत तेज प्यास लगी तो उन्होंने इलायची ,मिश्री और चंदन से बना हुआ शरबत पी लिया। शरबत पीते ही उनके शरीर के सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया। काफी उपचार के बाद वो ठीक तो हो गई लेकिन उनकी रीड की हड्डी हमेशा के लिए टेढ़ी हो चुकी थी । इस कारन उनका विवाह नहीं हो सका। जब राजा दशरथ से कैकयी का विवाह हुआ तो रेखा अंगरक्षक बनाकर उनके साथ अयोध्या आ गई। बाद में उनका नाम मंथरा पड़ा।
कैकेयी राजा दशरथ के एक साथ युद्ध में गई थी
कथाओं के अनुसार कैकेयी राजा दशरथ के एक साथ युद्ध में गई थी और उसने युद्ध में कैकयी ने राजा दशरथ की जान बचाई थी तब राजा दशरथ ने उनसे दो वरदान मांगने के लिए कहा। रानी ने कहा कि मैं यह वरदान समय आने पर मांग लूंगी। जब कई सालों बाद भी राम के राज्यभिषेक बात चली तो मंथरा ने रानी कैकयी को प्रभु राम के खिलाफभड़काया और उन दो वरदानों की याद दिलाई थी। मंथरा की बातों में आकर कैकयी ने राजा दशरथ से 14 वर्ष का राम वनवास और भरत के लिए राज्य मांगा। पिता राजा दशरथ के वरदान खाली न जाए इसलिए भगवान राम ने 14 वर्ष का वनवास पूरा किया।