72 की उम्र में भी साइकिल से करते हैं गोसेवा, अब तक 9 हजार से ज्यादा मवेशियों का किया मुफ्त इलाज

Saroj kanwar
3 Min Read

Chhatarpur News: गढ़ीमलहरा के पास कुर्राहा गांव के मुनीम खान का गोसेवा के लिए अटूट समर्पण दूर-दूर तक मिसाल बन चुका है। 72 साल की उम्र में भी वे हर दिन साइकिल से गढ़ीमलहरा सरकारी पशु चिकित्सालय पहुँचते और आवारा व पालतू मवेशियों का मुफ्त इलाज करते हैं। अगस्त 2015 में ड्रेसर पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने यह सेवा शुरू की और तब से लेकर अब तक वे नौ हजार से अधिक पशुओं का उपचार कर चुके हैं।

मुनीम खान बताते हैं कि वे अपने काम के कारण कई गांवों में पहचाने जाते हैं — गौर, पड़वा, लहर, मदारी, सिंदुर्खी और नुना जैसे आस-पास के गांवों के लोग उनसे जान पहचान रखते हैं। उनकी यह पहचान सेवानिवृत्ति के पश्चात उनके लिए प्रेरणा बन गई और उन्होंने निःस्वार्थ भाव से गोवंश की सेवा करना आरंभ कर दिया। इलाज के लिए वे हर माह अपनी पेंशन से करीब दो हजार रुपये खर्च करते हैं ताकि सड़क दुर्घटना में घायल पशुओं का समय पर और प्रभावी उपचार हो सके। इन पैसों से वे रुई, मलहम और पट्टी जैसी आपूर्ति खरीदते हैं और आवश्यकता पड़ने पर ग्रामीणों के घर जाकर भी प्राथमिक उपचार करते हैं।

उनके परिश्रम की एक खास बात यह है कि उनके पास मोबाइल फोन तक नहीं है; फिर भी वे रोजाना गढ़ीमलहरा आकर रहते हैं ताकि पशुपालक उनसे प्रत्यक्ष रूप से संपर्क कर सकें। जरूरत के वक्त वे पीछे नहीं हटते और आपातकालीन घायल गोवंश को प्राथमिक उपचार देकर बचाने की कोशिश करते हैं। इस निस्वार्थ सेवा की प्रेरणा उनके परिजनों से भी मिली उनके दो पुत्र, मोहम्मद जाकिर और मोहम्मद साजिद, जो छतरपुर में जाली फैक्ट्री में काम करते हैं, उन्होंने पिता को सक्रिय रखने और समाज सेवा के लिए प्रेरित किया। उनके बेटों की प्रेरणा से ही मुनीम ने यह काम शुरू किया और अब वे पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपनी सेवा कर रहे हैं।

मुनीम का कहना है कि सरकार से मिलने वाली मासिक पेंशन में से बची राशि वे परिवार के खर्च में लगाते हैं और सेवा के लिये अलग रखी छोटी रकम से घायल पशुओं के उपचार के साधन सुनिश्चित करते हैं। आज भी वे नियमित साइकिल यात्रा व पशुसेवा को जारी रखे हुए हैं। आसपास के ग्रामीण उनकी इस नि:स्वार्थ सेवा को सराहते हैं और कई बार व्यक्तिगत मदद से उनका साथ देते हैं। मुनीम खान का समर्पण और लगन यह सिखाती है कि छोटी-छोटी कोशिशें भी जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती हैं।

TAGGED:
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *