ग्रेच्युटी कैलकुलेटर भारत 2025: ग्रेच्युटी भारत में नौकरीपेशा लोगों के लिए वित्तीय सुरक्षा का एक साधन है। यह नियोक्ता द्वारा कर्मचारी की वर्षों की निष्ठा और सेवा के बदले में दी जाने वाली एक मान्यता है। चाहे आप निजी क्षेत्र में कार्यरत हों या सरकारी सेवा में, 5 साल की निरंतर सेवा पूरी करने के बाद आप ग्रेच्युटी पाने के पात्र हो जाते हैं। इसे आमतौर पर “वफादारी बोनस” कहा जाता है और यह आपके लंबे कार्यकाल के लिए आभार के प्रतीक के रूप में दिया जाता है।
ग्रेच्युटी क्या है?
ग्रेच्युटी वह राशि है जो किसी कर्मचारी को नौकरी छोड़ने, सेवानिवृत्त होने या सेवानिवृत्ति से पहले सेवा समाप्त करने पर दी जाती है। यह सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सहायता प्रदान करती है। भारत में, यह सुविधा “ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972” के तहत प्रदान की जाती है। यह अधिनियम उन संगठनों पर लागू होता है जिनमें 10 या अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। इस कानून का उद्देश्य कर्मचारियों को उनकी नौकरी के अंत में वित्तीय स्थिरता प्रदान करना है ताकि वे अपनी भविष्य की ज़रूरतों को पूरा कर सकें।
ग्रेच्युटी के लिए आवश्यक शर्तें
कानून के अनुसार, कोई कर्मचारी ग्रेच्युटी लाभ के लिए तभी पात्र होता है जब उसने एक ही संस्थान में लगातार पाँच या उससे अधिक वर्षों तक सेवा की हो। यदि कोई व्यक्ति पाँच वर्ष पूरे करने से पहले नौकरी छोड़ देता है, तो वह इस लाभ के लिए पात्र नहीं होता है। हालाँकि, कुछ परिस्थितियों में, कर्मचारी के परिवार को ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाता है।
ग्रेच्युटी की गणना समझें
उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी का मूल वेतन ₹65,000 है और उसने 7 वर्षों तक सेवा की है, तो उसे लगभग ₹2,62,500 की ग्रेच्युटी मिलेगी। हालाँकि, यदि कर्मचारी की सेवा के 10 वर्ष हैं और उसका कुल वेतन, महंगाई भत्ते सहित, ₹65,000 है, तो ग्रेच्युटी लगभग ₹3,75,000 होगी। वर्तमान में, ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा ₹20 लाख है।
ग्रेच्युटी का भुगतान
ग्रेच्युटी का भुगतान आमतौर पर तब किया जाता है जब कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ता है या सेवानिवृत्त होता है। कई कंपनियाँ अब ऑनलाइन ग्रेच्युटी कैलकुलेटर उपलब्ध कराती हैं, जिससे कर्मचारी अपनी अपेक्षित राशि का अनुमान लगा सकते हैं। ग्रेच्युटी का भुगतान नियोक्ता द्वारा सीधे कर्मचारी या उसके नामित व्यक्ति को किया जाता है।
ग्रेच्युटी पर कर नियम क्या हैं?
भारत में ग्रेच्युटी से संबंधित कर कानून पूरी तरह पारदर्शी हैं। सरकारी कर्मचारियों को उनकी पूरी ग्रेच्युटी कर-मुक्त मिलती है, जबकि निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को केवल एक निश्चित सीमा तक ही कर छूट मिलती है। अगर आपकी कंपनी ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के अंतर्गत आती है, तो यह राशि तीन में से ₹20 लाख कम हो जाएगी। इस राशि पर कोई कर नहीं लगेगा।
ग्रेच्युटी योजना क्यों महत्वपूर्ण है?
ग्रेच्युटी केवल एक बोनस नहीं, बल्कि सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय स्थिरता का एक मज़बूत साधन है। अगर आप किसी कंपनी में लंबे समय तक काम करते हैं, तो यह राशि आपकी पेंशन या सेवानिवृत्ति बचत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकती है। इसलिए, प्रत्येक कर्मचारी को अपनी सेवा अवधि और वेतन के अनुसार इसकी उचित योजना बनानी चाहिए।