किसानों को खेती में फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए कई प्रकार की उर्वरक की आवश्यकता होती है। किसानों द्वारा सबसे ज्यादाजो उर्बरक खेती की काम में लिया जाता है। वह यूरिया ऐसा उर्वरक है जो भारतीय खेती में अधिक इस्तेमाल किया जाता है ऐसे में सरकार की किसानों को सब्सिडी पर यूरिया उपलब्ध कराती है लेकिन अब सरकार यूरिया की जगह एक नया कोटेड यूरिया किसानों को उपलब्ध कराने जा रही है। कोटेड यूरिया को बाजार में’यूरिया गोल्ड’ के नाम से उतर जा रहा है। बताया जा रहा है कि वह यूरिया गोल्ड फसलों के लिए काफी प्रभावित है और इसके उपयोग से पैदावार भी बढ़ती है। आज हम आपको बताते हैं कि यूरिया गोल्ड क्या है और इसके उपयोग से क्या लाभ होगा और किसानों को यूरिया पर कितनी सब्सिडी मिलेगी।
दरअसल सरकार की ओर से सल्फर कोटेड यूरिया गोल्ड के नाम से मार्केट में उतर जा रहा है। आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति सीसीईएकी बैठक में 28 जून 2023 को सल्फर कोटेड को यूरिया गोल्ड के नाम से लांच करने की प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। हाल ही में कैबिनेट कमेटी बैठक में बोरी के वजन एवं एमआरपी का निर्णय लिया गया है। यह यूरिया गोल्ड वर्तमान में उपयोग के लिए जा रहे हैं। नीम कोटेड यूरिया की तुलना में अधिक किफायती और कुशल होगा। नया सल्फर कोटेड यूरिया भारतीय मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करेगा। इससे किसानो की इनपुट लागत कम होगी और उत्पादन बढ़ेगा जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। इस समय इस वीडियो को बनाने का काम राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर लिमिटेड कंपनी द्वारा की किया जा रहा है। सल्फरकेटेड यूरिया गोल्ड का खेती में इस्तेमाल में फसल में सल्फर की कमी पूरी होगी। हमारे देश में किसान फसल में सल्फर की कमी की ओर ध्यान नहीं देते हैं। ऐसे मिट्टी के लिए नमूने की गई नमूने में 40% तक सल्फर की कमी पाई गई है ऐसे में सल्फर की कमी को पूरा करने के लिए बाजार में यूरिया गोल्ड को उतारा गया।
बता दे की तिलहनी फसलों के उत्पादन में सल्फर की बहुत अहम भूमिका होती है। इसके अलावा अन्य फसलों के लिए भी सल्फर एक जरूरी उर्वरक है। सल्फर के उपयोग से तिलहनी फसलों के लिए नाइट्रोजन फास्फोरस रिपोर्टर सल्फर जिंक और बोरान जरूरी तत्व होते हैं। इसमें से किसान , नाइट्रोजन ,फास्फोरस और पोटाश के उपयोग पर ही अधिक जोड़ देते हैं। सल्फर ,जिंक और आयरन के उपयोग की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है जिससे फसल में इन चीजों की कमी हो जाती है जिसका सीधा असर र फसल के उत्पादन पर पड़ता है। अभी यूरिया में सल्फर कोटेड कोने में सल्फर की कमी दूर करने में सहायता मिलेगी। यदि बात की जाए तो सल्फर कोटेड यूरिया या यूरिया गोल्ड की तो नीम लेपित यूरिया 45 ग्राम की बोरी की एमआरपी जीएसटी सहित 266 पॉइंट 50 रुपए निर्धारित की गई है। वही सल्फर कोटेड यूरिया गोल्ड यूरिया की 40 ग्राम के बैग की एमआरपी भी जीएसटी सही 266 पॉइंट ₹50 निर्धारित की गई है। नीम लेपित यूरिया 45 यूरो ग्राम की एक बोरी की एमआरपी कीमत 266 पॉइंट ₹50 है जबकि 40 किलोग्राम की यूरिया गोल्ड की कीमत 766 पॉइंट ₹50 निर्धारित की गई है। यदि दोनों के वजन देखे तो यूरिया गोल्ड लेने पर किसान को 5 किलोग्राम कम यूरिया मिलेगा। ऐसे में यूरिया गोल्ड की कीमत नीम लेपित यूरिया से अधिक है हालांकि यूरिया गोल्ड नीम लेपित यूरिया से ज्यादा पावरफुल बताया जा रहा है। ऐसे में आशा की जा सकती है कि यूरिया गोल्ड से किसानों की फसलों की लागत में कमी आ सकती है और उनकी आय में हो सकता है। भारत में किसानों द्वारा फसल उत्पादन में सबसे ज्यादा यूरिया का इस्तेमाल किया जाता है और यूरिया पर ही सरकार किसानों को सबसे ज्यादा सब्सिडी देती है। यूरिया की एक बोरी पर सरकार करीब ₹2000 की सब्सिडी देती है। यदि सब्सिडी नहीं दी जाए तो किसान को यूरिया की एक बोरी की कीमत 2266 पॉइंट ₹50 तक चुकानी पड़ेगी।yuriy पर सब्सिडी देखकर सरकार किसानों को बहुत बड़ी राहत प्रदान कर रही a । है