रोजगार और सिंचाई की कमी से गोरखपुरा गांव से पलायन, बंद पड़ी हैं सुविधाएं

Saroj kanwar
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Tikamgarh News: टीकमगढ़ जिले से करीब 80 किमी दूर गोरखपुरा गांव एक समय पर बिजावर रियासत का अहम परगना था। यहां की मंडी में चिरौंजी और घी का बड़ा व्यापार होता था और व्यापारी दूर-दूर से आते थे। 300 साल पुराना जैन मंदिर आज भी गांव की पहचान है। लेकिन समय के साथ विकास की कमी, सुविधाओं का अभाव और रोजगार के साधनों की कमी के चलते गांव की रौनक खत्म हो गई।

आज गांव की मंडी पूरी तरह बंद है और व्यापार लगभग खत्म हो गया है। सुविधाएं न मिलने के कारण व्यापारी परिवार बड़ामलहरा, घुवारा और टीकमगढ़ जैसे कस्बों में बस गए। गांव के पास बसे राजीव नगर मजरा में करीब 250 आदिवासी परिवार रहते हैं, लेकिन वहां तक जाने के लिए सड़क तक नहीं है। राजीव नगर का स्कूल भी सुविधाओं की कमी से बंद पड़ा है।

गांव में खेती ही रोजगार का मुख्य जरिया है, लेकिन सिंचाई के साधन न होने से किसान परेशान हैं। खासकर छोटे और भूमिहीन किसान रोजगार के लिए मजबूरी में शहरों की ओर पलायन कर चुके हैं। करीब 60% परिवार अब गांव छोड़ चुके हैं। इलाज के लिए और बच्चों की पढ़ाई के लिए भी लोगों को 10 किमी दूर भगवां जाना पड़ता है।

गांव में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल हैं, लेकिन हायर सेकंडरी की पढ़ाई के लिए छात्र रोज भगवां आते हैं। गोरखपुरा कभी पहचान रखने वाला गांव था, लेकिन आज यहां विकास की कमी साफ नजर आती है।

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