रसोई गैस की सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए, तेल कंपनियों ने एक नया नियम लागू किया है। बिना कनेक्शन नंबर के किसी भी ग्राहक को गैस पाइप या रेगुलेटर नहीं बेचा जाएगा। यह नियम इसलिए लागू किया गया है ताकि कंपनियाँ ग्राहकों द्वारा पाइप और रेगुलेटर बदलने का पूरा रिकॉर्ड रख सकें। भविष्य में किसी दुर्घटना की स्थिति में, यह रिकॉर्ड मुआवज़े की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा।
नई व्यवस्था के अनुसार, गैस एजेंसियाँ ग्राहक के कनेक्शन नंबर के आधार पर खरीदे गए पाइप और रेगुलेटर का विवरण दर्ज करेंगी। इससे कंपनी को यह स्पष्ट जानकारी मिल जाएगी कि ग्राहक ने पिछली बार कब नया पाइप या रेगुलेटर खरीदा था। भविष्य में, इस डेटा के आधार पर, ग्राहकों के पंजीकृत मोबाइल नंबरों पर रिमाइंडर संदेश भेजने की योजना है, जिसमें उन्हें समय पर पाइप बदलने की आवश्यकता के बारे में सूचित किया जाएगा।
तेल कंपनियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि रसोई गैस उपकरणों का समय-समय पर निरीक्षण और प्रतिस्थापन आवश्यक है। कंपनियाँ पहले से ही ग्राहकों से हर पाँच साल में अपने गैस पाइप बदलने का आग्रह कर रही हैं। उनका कहना है कि समय पर पाइप बदलने से गैस रिसाव का खतरा काफी कम हो जाता है और सुरक्षा में सुधार होता है। कंपनी के अनुसार, एजेंसियों पर उपलब्ध पाइप पारंपरिक पाइपों की तुलना में अधिक मज़बूत और टिकाऊ होते हैं और सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में, गैस पाइपों में लीकेज के कारण कई दुर्घटनाएँ हुई हैं, जिसके कारण तेल कंपनियाँ सतर्क रहने और ग्राहकों को लगातार सावधानी बरतने की सलाह देने पर मजबूर हैं। ग्राहकों की सटीक और अद्यतन जानकारी सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक केवाईसी पहले ही अनिवार्य कर दिया गया है।
इंडियन ऑयल के उप महाप्रबंधक रवि चंदेरिया का कहना है कि उपभोक्ताओं को हर पाँच साल में अपने गैस पाइप बदलने की आदत डालनी चाहिए। इससे न केवल सुरक्षा में सुधार होता है, बल्कि दुर्घटनाओं का जोखिम भी काफी कम होता है। उन्होंने बताया कि कंपनी के अधिकारी और वितरक ग्राहकों में जागरूकता बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।
नई व्यवस्था के लागू होने से रसोई गैस से जुड़ी सुरक्षा और पारदर्शिता दोनों बढ़ेगी और उपभोक्ता भी अपनी जिम्मेदारियों के प्रति अधिक जागरूक होंगे।