कल्पना कीजिए, आपके फोन पर एक भुगतान अनुरोध आता है। आप बिना ध्यान दिए उसे स्वीकार कर लेते हैं। और पल भर में आपका खाता खाली हो जाता है! यूपीआई उपयोगकर्ताओं का यह जाल अब धोखेबाजों का नया हथियार बन गया है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीए) इसी मुद्दे पर सटीक कार्रवाई कर रहा है।
आखिर क्या बदल रहा है?
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम ने ‘पर्सन टू पर्सन मर्चेंट’ श्रेणी में ‘कलेक्ट’ सुविधा को चरणबद्ध तरीके से बंद करने का निर्णय लिया है। अब तक विक्रेता आपको भुगतान अनुरोध भेज सकता था। अब से यह सुविधा कम होती जा रही है। इसके साथ ही, ‘ऑटोपे’ या सदस्यता भुगतान के मामले में भी नियम सख्त हो रहे हैं। आप यह स्पष्ट रूप से देख पाएंगे कि कोई ऐप या सेवा कितनी राशि काट रही है। लेकिन आपकी अनुमति के बिना राशि नहीं काटी जाएगी।
इसका आप पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे Paytm या Pine Labs जैसी बड़ी कंपनियों के कारोबार को कोई खास नुकसान नहीं होगा। क्योंकि, बड़े स्टोरों में अब QR कोड या PIN मशीनें ही प्रचलित हैं। कुछ छोटे व्यापारी, जो पहले सीधे अनुरोध भेजकर भुगतान प्राप्त करते थे, उन्हें शायद परेशानी हो सकती है। हालांकि, आम उपभोक्ता के लिए यह एक बड़ी जीत है। एक अन्य विशेषज्ञ का मानना है कि इससे UPI पर लोगों का भरोसा बढ़ेगा। धोखाधड़ी के रास्ते बंद होने से डिजिटल लेनदेन अधिक सुरक्षित हो जाएंगे।
भविष्य के लिए संदेश
आपके हाथ में स्मार्टफोन होना मतलब आप धोखेबाजों के निशाने पर हैं। इसलिए QR कोड स्कैन करने या भुगतान अनुरोध को मंज़ूरी देने से पहले दो बार सोचें। तकनीकी सुरक्षा में निश्चित रूप से सुधार हो रहा है, लेकिन आपकी जागरूकता ही अंतिम उपाय है।