आधार कार्ड: किसी प्रियजन के निधन के बाद आधार कार्ड को निष्क्रिय न करने से पहचान की चोरी और वित्तीय धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है। यूआईडीएआई का कहना है कि सक्रिय आधार कार्ड के कारण फर्जी बैंक खाते खुल सकते हैं, पेंशन में हेराफेरी हो सकती है, सब्सिडी का दुरुपयोग हो सकता है और मतदाता सूची में फर्जी नाम दर्ज हो सकते हैं। इसे समय पर निष्क्रिय करने से इन समस्याओं से बचा जा सकता है।
दुरुपयोग के जोखिम और महत्व
यदि किसी मृत व्यक्ति का आधार गलत हाथों में पड़ जाता है, तो अपराधी उनके नाम पर ऋण ले सकते हैं या सरकारी लाभ चुरा सकते हैं। अब तक, यूआईडीएआई ने मृत व्यक्तियों के 1.17 करोड़ से ज़्यादा आधार कार्ड निष्क्रिय कर दिए हैं, जो दुरुपयोग को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। परिवार के सदस्यों को सतर्क रहने की ज़रूरत है, क्योंकि देरी से बड़ा नुकसान हो सकता है। विशेषज्ञ इस बात पर ज़ोर देते हैं कि यह डिजिटल सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
आसान ऑनलाइन निष्क्रियकरण प्रक्रिया
www.myaadhar.uidai.gov.in पर जाएं।
– ‘परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु की सूचना दें’ पर क्लिक करें।
– मृतक का आधार नंबर, मृत्यु प्रमाण पत्र और रिश्तेदारी का प्रमाण (जैसे राशन कार्ड) अपलोड करें।
– सत्यापन के 15-30 दिनों के भीतर आधार निष्क्रिय कर दिया जाएगा।
यह सुविधा वर्तमान में 24 राज्यों में उपलब्ध है और जल्द ही शेष राज्यों में भी शुरू की जाएगी। अगर यह गलती से निष्क्रिय हो गया है, तो इसे पुनः सक्रिय करना भी एक विकल्प है।
क्या मुझे अपना पुराना आधार नंबर वापस मिलेगा?
UIDAI बताता है कि आधार एक विशिष्ट पहचान संख्या है, इसलिए मृतक का नंबर किसी और को नहीं दिया जाएगा। डेटाबेस अपडेट होता रहता है, लेकिन सिस्टम की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए नए नंबर जारी किए जाते हैं। परिवार के सदस्यों को मृत्यु प्रमाण पत्र मिलते ही यह प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए। यह सरल कार्य महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है और धोखाधड़ी को रोकने में मदद करता है। UIDAI की यह पहल डिजिटल इंडिया को बढ़ावा दे रही है।