बेटे को पढ़ाने के लिए पिता बेचते थे ठेले पर अंडा, मां ने लिया कर्ज, गरीबी से लड़कर 27 साल के उम्र में जज बने आदर्श 

Saroj kanwar
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BPSC Success story: अक्सर आपने सुना होगा कि जो लोग मेहनत करना जानते हैं वह हर हाल में कामयाब होते हैं। जब कोई जुनून के साथ मेहनत करता है तो मुस्किले भी उसके आगे घुटने टेक देती है। आज हम आपको बिहार के आदर्श कुमार की सफलता की कहानी बताएंगे जिन्होंने मुश्किलों से लड़कर सफलता की कहानी लिखी है। आदर्श के पिता अंडा का ठेला लगाकर अंडा बेचते थे ताकि उनका बेटा पढ़ सके।

 आदर्श कुमार औरंगाबाद के शिवगंज के रहने वाले हैं जिनका जन्म 17 अगस्त 1997 को हुआ। आर्थिक तंगी के बावजूद आदर्श में मात्र 27 साल की उम्र में जज बनकर एक मिसाल कायम किया और पूरे जिले के साथ परिवार का नाम भी रोशन किया। वह सफलता के उसे मुकाम पर पहुंचे जिसकी किसी को उम्मीद भी नहीं थी।

 गया में मिली है पहली पोस्टिंग 

 आदर्श कुमार ने बिहार लोक सेवा आयोग की 32वीं न्यायिक सेवक परीक्षा में 120 वां स्थान प्राप्त किया है। वह जज बन गए हैं और अभी उन्हें जूनियर डिवीजन में प्रोबेशनरी सिविल जज के पद पर तैनात किया गया है। उनकी सर्विस 18 फरवरी 2025 को शुरू हुई और वह 31 अगस्त 2057 को रिटायर्ड होंगे।

 आदर्श ने 2017 में कार्ट की परीक्षा दी जिसके जरिए चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी पटना में उन्हें एडमिशन मिल गया और यहां से 2022 में लो की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। 2024 में उनकी मेहनत रंग लाई और परीक्षा में उन्हें 120 वां स्थान मिला।

 आदर्श के कामयाबी के पीछे उनके पिता विजय साव और मां सुनैना देवी का बड़ा हाथ है। कठिनाइयों के बावजूद भी उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ना नहीं छोड़ा। उन्होंने दो बड़ी बेटियों की शादी की और दो बेटों को पढ़ाया। आदर्श की मां को पता था कि उनके बेटे होशियार है इसलिए उन्होंने कर्ज लेकर बच्चों को पढ़ाया और उनकी पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं आने दे। आदर्श का छोटा भाई बेड करके टीचर बनने की तैयारी कर रहा है। आदर्श अपने माता-पिता को भगवान का दर्जा देते हैं और उनका मानना है कि वह आज जो भी है उनके माता-पिता की वजह से हैं।

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