बिहार चुनाव परिणाम 2025 – पीएम मोदी भाजपा मुख्यालय पहुंचेंगे, एनडीए के प्रचंड बहुमत पर पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई देंगे

Saroj kanwar
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बिहार चुनाव परिणाम 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की अप्रत्याशित जीत ने सभी पार्टी कार्यकर्ताओं में एक अनोखा उत्साह भर दिया है। दोपहर से ही एनडीए खेमे में जश्न का माहौल है। महागठबंधन के कई बड़े नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है। तेजस्वी यादव खुद अपनी सीट पर पीछे चल रहे हैं।

एनडीए के शानदार प्रदर्शन के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम 6 बजे दिल्ली भाजपा मुख्यालय पहुँचेंगे और कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे और जनता को बधाई देंगे। पार्टी मुख्यालय में उनके कार्यक्रम की तैयारियाँ चल रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहेंगे। बिहार की जनता ने इस बार भाजपा को दिल खोलकर वोट दिया है, जिससे सभी कार्यकर्ता और नेता बेहद खुश हैं।

भाजपा मुख्यालय में ढोल-नगाड़े बज रहे हैं
एनडीए की प्रचंड जीत के बाद, पटना से लेकर दिल्ली भाजपा मुख्यालय तक जश्न का माहौल है। ढोल-नगाड़ों और देशभक्ति के गीतों की थाप गूंज रही है, कार्यकर्ता एक-दूसरे को मिठाइयाँ खिला रहे हैं और बधाई दे रहे हैं।

एनडीए की बढ़त में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता को अहम माना जा रहा है। नीतीश कुमार पिछले दो दशकों से बिहार का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्हें ‘सुशासन बाबू’ के नाम से भी जाना जाता है। यह चुनाव उनके लिए जनता के विश्वास और राजनीतिक स्थिरता की परीक्षा माना जा रहा था।

एनडीए ने दोहरा शतक लगाया
इस लेख के लिखे जाने तक, रुझानों में एनडीए ने दोहरा शतक लगा लिया है। कुछ उम्मीदवार जीत के बाद मिठाइयाँ बाँट रहे हैं। एनडीए 203 सीटों पर आगे चल रहा है। भाजपा 90, जदयू 80, लोजपा 20, हम 3 और रालोद 4 सीटों पर आगे चल रही है। विपक्षी गठबंधनों में, राजद 28, कांग्रेस 4, भाकपा (माले) 4 और माकपा 1 सीट पर आगे चल रही है। इसके अलावा, बसपा और एआईएमआईएम 1 सीट पर आगे चल रही हैं।

नीतीश कुमार की राजनीतिक स्थिति
नीतीश कुमार चार दशकों से भी अधिक समय से राजनीतिक स्थिरता और विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने ग्रामीण बुनियादी ढाँचे में सुधार किया और प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता योजनाओं के माध्यम से जनता का विश्वास जीता। उनका राजनीतिक जीवन 1970 के दशक के जेपी आंदोलन से शुरू हुआ और उन्होंने पिछड़े वर्गों और धर्मनिरपेक्ष राजनीति में एक मज़बूत पहचान बनाई।

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