बारिश आते ही धंस जाती सड़क, आलोट का टूटा हाइवे बना हादसों का जाल

Saroj kanwar
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Ratlam News: जावरा-आगर हाइवे का आलोट में करीब 3 किलोमीटर का हिस्सा इन दिनों जर्जर हो गया है। आलोट से खजूरी सोलंकी फंटे तक जगह-जगह बने गड्डों और धंसने से आए दिन हादसे हो रहे हैं; पिछले कुछ सालों में जान-माल की हानि हुई है। इस सड़क का निर्माण 2012-2014 में एक प्राइवेट कंपनी ने कराया था, लेकिन एक साल बाद ही यह हिस्सा बार-बार टूटने और धंसने लगा।

स्थायी मरम्मत के लिए मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम ने तीन बार टेंडर जारी किए, पर हर बार पर्याप्त ठेकेदार सामने नहीं आए और जो आए वे मानकों पर खरे नहीं उतरे। नतीजतन टेंडर रद्द होते रहे। हाल ही में निगम ने 26 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाला नया टेंडर निकाला है, जिसमें आलोट के बड़ौद नाके से खजूरी सोलंकी फंटे तक 3 किमी और आलोट रेलवे स्टेशन से कारगिल चौराहे तक 1 किमी सड़क का स्थायी निर्माण शामिल है।

निगम के वरिष्ठ इंजीनियर ने कहा कि स्थायी निर्माण तक यात्रियों की राहत के लिए 10 अक्टूबर के बाद डामर से पैचवर्क किया जाएगा, पर पिछले अनुभवों से स्पष्ट है कि बारिश में यह टिकाऊ नहीं रहता। स्थानीय लोग अस्थायी मरम्मत से परेशान हैं क्योंकि वे जल्द ही बेअसर साबित होते हैं।

विशेषज्ञों और स्थानीयों का कहना है कि समस्या की बड़ी वजह सड़क के नीचे की काली मिट्टी है, जो बारिश में दबकर सतह अस्थिर कर देती है। निर्माण के समय मिट्टी की ठीक से जांच न होना और ठेकेदार की लापरवाही भी प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। जावरा-आगर हाइवे करीब 97 किलोमीटर लंबा है, फिर भी गड्ढे और धंसने की समस्या विशेष रूप से आलोट के इसी तीन किलोमीटर में बनी हुई है।

स्थानीय वाहन चालक और पथिक हादसों से चिंतित हैं और मांग कर रहे हैं कि जल्द स्थायी पुनर्निर्माण कर सड़क को सुरक्षित बनाया जाए ताकि लोगों की जान का खतरा टले और आवागमन सुचारु रहे। पिछले वर्षों में कई वाहन बिगड़े और कुछ लोग गंभीर चोटें भी झेल चुके हैं। स्थानीय व्यापारी मानते हैं कि खराब रास्ते से कारोबार प्रभावित हो रहा है, जिससे आर्थिक नुकसान हो रहा है। नागरिक निगरानी व कार्रवाई की मांग है।

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