फटे अखबार और समाजसेवियों की कोशिशों ने माता पिता से मिलवाया बिछडे हुए मूक बधिर बच्चे को

Saroj kanwar
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रतलाम,13 सितम्बर (इ खबरटुडे)। छ: महीने पहले रेलवे पुलिस को ट्रेन में मिले एक मूक बधिर बालक की किस्मत एक फटे हुए अखबार,समाजसेवियों की कोशिश और सोशल मीडीया प्लेटफार्म की वजह से खुल पाई। छ: महीने पहले राजस्थान के एक सुदूर गांव से गुम हुए इस बालक का पता उसके माता पिता को मिला और वे अपने कलेजे के टुकडे को अपने साथ ले गए। बजरंगी भाई जान फिल्म जैसी यह कहानी बीते दिन देखने को मिली।

रतलाम में देवप्रकाश सेवा संस्थान द्वारा संचालित बालगृह की सोशल वर्कर रितु वर्मा ने बताया कि मई 2025 में रेलवे पुलिस को ट्रेन में एक पन्द्रह वर्षीय बालक लावारिस अवस्था में मिला था। यह बालक एक मूक बधिर बालक था,जो ना तो बोल सकता था,और ना ही सुन सकता था। इसलिए यह पता करने का कोई तरीका नहीं था कि यह बालक कौन है और कहां से आया है? रेलवे पुलिस को जब बालक का कोई अता पता नहीं मिला तो उन्होने इस बालक को रतलाम के बाल गृह को सौंप दिया।

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बाल गृह के लोगों ने भी इस बालक के बारे में पता करने की कई कोशिशें की,लेकिन उन्हे बालक के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया। बालक की गतिविधियों को समझ कर उसके बारे में जानकारियां पता करने के लिए बाल गृह के लोगों ने स्थानीय मूक बधिर विद्यालय के शिक्षकों की मदद भी ली,लेकिन वे भी कुछ पता नहीं कर पाए। इसके अलावा आस पास के जिलों के पुलिस थानों पर भी बालक का फोटो भिजवाया गया,लेकिन उसकी कोई जानकारी नहीं मिल पाई।

समाजसेविका रितु वर्मा ने बताया कि इस गुमशुदा बालक को उसके परिवार से मिलवाने की कोशिशों के दौरान अचानक उन्हे याद आया कि जब पुलिस ने इस बालक को बाल गृह को सौंपा था,उसके पास एक फटा हुआ अखबार का टुकडा भी था। रितु वर्मा ने अखबार के इस फटे हुए टुकडे को गौर से देखा तो उन्हे पता चला कि यह अखबार राजस्थान का अखबार था,क्योकि उसमें राजस्थान के विभिन्न शहरों की खबरें थी।

रितु वर्मा ने सोचा कि हो ना हो  यह बालक राजस्थान के ही किसी क्षेत्र से भटक कर रतलाम आया होगा। तब उन्होने सोचा कि अगर इस बालक के फोटो राजस्थान में वायरल किए जाएं तो हो सकता है कि बालक के माता पिता को इसकी जानकारी मिल जाए। राजस्थान में बालक की फोटो वायरल करने के लिए उन्होने लेक सिटी न्यूज राजस्थान के संपादक संजय खोखावत से सम्पर्क किया और उन्हे बच्चे की पूरी कहानी सुनाई। श्री खोखावत ने इस मुद्दे को पूरी गंभीरता से सुना और बच्चे की तस्वीर और पहचान का समाचार पूरे राजस्थान और खासतौर से उदयपुर और चित्तौडगढ के क्षेत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित करवाया। उन्होने अपने लेक सिटी न्यूज उदयपुर के इन्स्टाग्र्राम पेज पर भी बच्चे की तस्वीर लगाई। चमत्कार देखिए कि बच्चे का फोटो सोशल मीडीया पर आने के महज दो घण्टों में बालक के परिजनों को उसकी जानकारी मिल गई और उन्होने तत्काल लेक सिटी न्यूज के माध्यम से रितु वर्मा से सम्पर्क किया।

2 मई को गुम हुआ था बालक

बालक के परिजनों द्वारा रितु वर्मा से सम्पर्क किए जाने पर उसकी पूरी कहानी सामने आई। बालक के परिजनों ने बताया कि उसका नाम भारत है और वह जन्म से ही गूंगा बहरा है। वह चित्तौडगढ जिले के महुडी खेडा बोहेडा गांव का रहने वाला है। 2 मई को वह स्कूल जाने के लिए घर से निकला था,लेकिन ना तो स्कूल पंहुचा और ना ही घर लौटा। तभी से उसके माता पिता उसे खोज रहे थे। उन्होने पुलिस थाने में गुमशुदगी भी दर्ज कराई थी। बच्चे की मां का रो रोकर बुरा हाल हो गया था। उसके मूक बधिर होने से उसकी पहचान एक पहेली बनी हुई थी और इसी वजह से उसे उसके माता पिता से मिलवाना लगभग असंभव था। लेकिन रितु वर्मा की कोशिशों और सोशल मीडीया की पंहुच के कारण एक बिछुडा हुआ मूक बधिर बच्चा अपने माता पिता से फिर मिल पाया।

बालक भारत के माता पिता शुक्रवार को रतलाम पंहुचे और समाजसेविका रितु वर्मा और बालगृह के स्टाफ को सैैंकडों धन्यवाद देते हुए अपने बालक को अपने साथ ले गए।

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