धुलकोट की हरी मिर्च ने विदेशों तक बनाई पहचान, क्षेत्र में बढ़ा रोजगार

Saroj kanwar
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Burhanpur News: धुलकोट और इसके आसपास के गांवों की हरी मिर्च की मांग अब विदेशों तक पहुंचने लगी है। क्षेत्र के किसान, विशेषकर धुलकोट, चिखलिया, झिरपांजरिया, अंबा, धोंड, इटारिया और बोरी बुजुर्ग में बड़े पैमाने पर हरी मिर्च की खेती कर रहे हैं। इनकी मिर्च का स्वाद और रंग देश भर की मंडियों में प्रसिद्ध हो चुका है, और अब यह विदेशों तक भी पहुंच रही है।

यहां से मिर्च पहले खंडवा, खरगोन और बुरहानपुर की मंडियों में जाती है, जहां से यह दिल्ली, मुंबई, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे प्रमुख राज्यों में सप्लाई होती है। दिलचस्प बात यह है कि धुलकोट की मिर्च दुबई और बांग्लादेश तक भी पहुंच रही है। हाल ही में बांग्लादेश में आई बाढ़ के कारण मिर्च से भरी हजारों गाड़ियां सीमा पर फंसी रह गईं, जो इस बात का सबूत है कि इस छोटे से गांव की मिर्च अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक महत्वपूर्ण स्थान बना चुकी है।

धुलकोट क्षेत्र में मिर्च की खेती से केवल किसानों की आय में ही वृद्धि नहीं हुई, बल्कि इसने इलाके में रोजगार और आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया है। यहां के व्यापारी हर दिन बड़ी मात्रा में मिर्च की खरीद करते हैं, जिससे लोडिंग-अनलोडिंग करने वाले मजदूर, ट्रांसपोर्टर और मंडी व्यापारी भी लाभान्वित हो रहे हैं। अनुमान के मुताबिक, रोजाना 10 से अधिक वाहन हरी मिर्च लेकर विभिन्न राज्यों में भेजे जाते हैं।

किसानों का कहना है कि अगर हरी मिर्च की खेती को संगठित रूप से बढ़ावा दिया जाए, तो धुलकोट की मिर्च को जीआई टैग मिल सकता है, जिससे इसका अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रांड वैल्यू और भी बढ़ेगी। इसके अलावा, सरकार और कृषि विभाग द्वारा कोल्ड स्टोरेज, पैकेजिंग और निर्यात की सुविधाएं प्रदान करने से धुलकोट की मिर्च केवल एशियाई देशों तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि अन्य विदेशी बाजारों तक भी पहुंच सकती है।

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