धंसे पिलर वाले पुराने पुल से निकल रही बसें, 15 किमी की दूरी बचाने के लिए हटाई गई बैरिकेडिंग

Saroj kanwar
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Chhatarpur News: बलरामपुर गांव के पास केल नदी पर बना पुराना पुल 6 साल पहले क्षतिग्रस्त हो गया था। पानी के तेज बहाव में इसके पिलर जमीन में धंस गए थे। इसके बावजूद आज तक नया पुल नहीं बन सका, जिससे लोग उसी जर्जर पुल से रोजाना आवागमन करने को मजबूर हैं।

गौरिहार और आसपास के गांवों को जोड़ने वाली इस सड़क से रोजाना करीब 8 से 10 बसें निकलती हैं। पुल के दोनों ओर प्रशासन ने बैरिकेडिंग और गड्ढे बनाकर रास्ता बंद किया था, लेकिन यात्रियों और वाहन चालकों ने बैरिकेडिंग हटाकर फिर से उसी रास्ते का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।

इस पुल से होकर बारीगढ़, बलरामपुर, सिचहरी, खेराकसार, सरबई, मटौध और चित्रकूट-बांदा तक के लोग आवाजाही करते हैं। अगर वे वैकल्पिक मार्ग से जाते हैं, तो 15 किलोमीटर का अतिरिक्त रास्ता तय करना पड़ता है। यही कारण है कि लोग खतरे में भी इसी टूटे पुल से आना-जाना कर रहे हैं।

2023 में पुल निर्माण का टेंडर जारी हुआ था, जिसे रामराजा कंस्ट्रक्शन कंपनी को सौंपा गया। पुल की लंबाई 175 मीटर और लागत करीब 10.59 करोड़ रुपये तय की गई थी। निर्माण की समयसीमा अक्टूबर 2025 रखी गई थी, लेकिन अब तक केवल 6 पिलर बने हैं और पिछले एक साल से काम बंद है। ठेकेदार की धीमी रफ्तार और प्रशासन की निष्क्रियता के कारण अब भी 40 प्रतिशत कार्य ही हो सका है।

सेतु विभाग के एसडीओ आरएस सिंह का कहना है कि 60 प्रतिशत कार्य हो चुका है और बारिश के बाद काम तेजी से पूरा किया जाएगा। लेकिन तीन माह में पुल बन पाना अब भी मुश्किल दिख रहा है।

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