दुपहिया और पैदल चालकों के लिए एक्सीडेंट से खतरे से बचाने के लिए समाज में होना चाहिए बड़ा बदलाव

Saroj kanwar
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भारत 63। 73 लाख किलोमीटर के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रोड नेटवर्क वाला देश है। हमारा देश सबसे किफायती सड़क परिवहन के तौर पर इस वजह से परिवहन क्षेत्र में कुल यात्रियों की संख्या में से लगभग 87% यात्री सड़क मंत्र मार्ग यात्रा से कर रहे हैं। साथ ही मॉडल के मामले में सड़क परिवहन का इस्तेमाल 60% से भी ज्यादा पर पहुंच गया। हालाँकि इस नेटवर्क के फायदों के साथ-साथ ,भारत की सुरक्षा पर सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों हमेशा से चिंता का विषय रही है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की साल 2022 की भारतीय सड़क दुर्घटना रिपोर्ट के मुताबिक ,देश मेंबड़ी तादाद में सड़क दुर्घटनाएं और मौत हुई है।

पैदल यात्रियों के आंकड़ा लगभग 20% था

हर दिन 1263 दुर्घटनाएं होती है जिनमें 461 मोटी होती है ,इस हिसाब से हर 3.30 मिनट में एक मौत होती है। सालाना आधार पर आकलन के बाद ये आंकड़े और भी ज्यादा चिंताजनक हो जाते हैं। क्योंकि साल 2022 में 4 पॉइंट 4 लाख घायलों में से 1.68 लाख की लोगों की मौत हुई थी। इनमें से दो पहिया वाहन चालकों का आंकड़ा लगभग आधार पहचान 44.5 परसेंट रहा और पैदल यात्रियों के आंकड़ा लगभग 20% था।

यात्री और दोपहिया चालक सबसे ज्यादा जोखिम में होते हैं

आंकड़ों के आधार पर पैदल यात्री और दोपहिया चालक सबसे ज्यादा जोखिम में होते हैं जिन्हें सड़क दुर्घटना का सबसे ज्यादा खतरा होता है। आर्थिक कारण और बढ़ती जनसंख्या दर भी इन परेशानियों में योगदान देते हैं। भारत में दो पहिया वाहन सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला परिवहन साधन है। हालांकि घनी आबादी वाले शहरी इलाकों में ज्यादा वाहनों की मौजूदगी ट्रैफिक असुरक्षित होती है। साथ ही, दुपहिया वाहनों को सस्ता बनाने वाले आर्थिक कारण भी इनके सबसे ज़्यादा इस्तेमाल के पीछे की बड़ी वजह हैं, साथ ही , दो पहिया वाहनों को सस्ता बनाने वाले आर्थिक कारण भी इनके सबसे ज्यादा इस्तेमाल के पीछे की बड़ी वजह है जिनमें बिना सर्विस किये या पुराने वाहन चलाना भी आम बात है जिससे लोग अपने जीवन को जोखिम में डालते हैं।

आप तेज रफ्तार ड्राइव करना रहता है

भारत के कुछ लोग ऐसे तरीके से वाहन चलाने की वजह से पैदल यात्रियों और दुपहिया वाहन चालकों को असुरक्षित परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। लापरवाह तरीके से गाडी चलाने , आप तेज रफ्तार ड्राइव करना रहता है ,नियमों का उल्लंघन करना ,सिर्फ सड़क पर सुरक्षित माहौल ही नहीं बनाते बल्कि सड़क पर चल रही है। बाकी लोगों की जीवन को भी जोखिम में डालते हैं। हालांकि भारत में सड़क दुर्घटना में होने वाली म्यूट की बड़ी वजह सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता की कमी भी है। गाड़ी चलाने के तरीके में बदलाव लाने और मानसिकता बदलने का सबसे पहला कदम लोगों को जागरूक करना ही है।

सड़क सुरक्षा अभियान के दूसरे संरक्षण की एक सार्वजनिक जागरूकता अभियान के तौर पर लॉन्च किए गए

हेलमेट या सीट बेल्ट पहनने जैसी सड़क सुरक्षा की बुनियादी जरूरत के अलावा,यातायात ,नियमो ,चिह्नों का पालन करना भी बेहद जरूरी होता है। भारत में सड़क दुर्घटना और म्यूट की आंकड़ों को कम करने के लिए नागरिक समाज और सरकार को सहायता कर अपना योगदान देना होगा। बड़ी पैमाने और व्यवहार में बदलाव लाने के लिए देश में जागरूकता अभियान की जरूरत है और यहीं से शुरुआत होती है।

सड़क सुरक्षा अभियान के दूसरे संरक्षण की एक सार्वजनिक जागरूकता अभियान के तौर पर लॉन्च किए गए। संविधान का मुख्य उद्देश्य भारत की सड़कों पर संवेदना का भाव लोगों के बीच जीवन की अहमियत के बारे में जागरूकता और व्यवहार बदलाव लाना है। इस मुहिम के तहत, सड़क पर सुरक्षित तरीके से बर्ताव करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए गतिविधियां आयोजित की गईं, जिससे भारत में सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

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