दमोह में जन्मदर नियंत्रित करने नई पहल,  नवदम्पतियों को दी जा रही ‘पहल किट’

Saroj kanwar
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Damoh News: दमोह सहित प्रदेश के 12 जिलों में जन्मदर की स्थिति चिंताजनक पाई गई है। अधिक जन्मदर को नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नवदम्पतियों को नई पहल किट देने की योजना शुरू की है। इस वर्ष विवाह करने वाले दंपतियों को आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से यह किट उपलब्ध कराई जा रही है। किट में परिवार नियोजन से लेकर रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुएं और स्वास्थ्य संबंधी सामग्री शामिल है।

किट वितरित करते समय नवदम्पतियों को छोटे परिवार की दिशा में कदम बढ़ाने और विवाह के शुरुआती वर्षों में जिम्मेदारी के साथ परिवार नियोजन अपनाने की जानकारी दी जा रही है। दमोह उन 12 जिलों में शामिल है, जहां कुल प्रजनन दर राज्य की औसत से अधिक है। यहाँ एक दंपती औसतन तीन से चार बच्चों को जन्म दे रहा है, जबकि लक्ष्य दो संतान का है। इसी कारण जनसंख्या स्थिरीकरण की चुनौती और गंभीर हो गई है।

स्वास्थ्य विभाग ने आशा कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्य कर्मियों के जरिए घर-घर जाकर किट वितरित करना शुरू किया है। किट में जूट बैग, तौलिया, कंघी, बिंदी, नेलकटर, दो रूमाल, छोटा बैग, शीशा और गर्भनिरोधक गोलियां शामिल हैं। इसके अलावा, प्रेग्नेंसी जांच किट, विवाह पंजीकरण फॉर्म और जागरूकता पंपलेट भी दिए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य नवदम्पतियों को सुरक्षित और योजनाबद्ध तरीके से परिवार का विस्तार करने के लिए प्रेरित करना है।

आशा किट के माध्यम से नवदम्पतियों को यह समझाया जा रहा है कि विवाह के तुरंत बाद संतानोत्पत्ति की जल्दी न करें। ऐसा करने से मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी और परिवार आर्थिक एवं सामाजिक रूप से मजबूत बनेगा।

सीएमएचओ ने बताया कि शासन स्तर पर किए गए सर्वे में यह आंकड़े सामने आए थे। अब जन्मदर में सुधार आया है, लेकिन इसे संतुलित बनाए रखने के लिए यह नई पहल की जा रही है। यदि यह अभियान दमोह में सफल रहा, तो जिले में जनसंख्या वृद्धि दर को नियंत्रित करने में बड़ी मदद मिलेगी और यह पूरे प्रदेश के लिए एक मिसाल बन सकता है।

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